अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने छोटे बच्चों में पूर्ण टीकाकरण को 18.6 फीसदी से 70 फीसदी तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की। यह देश के औसत के बराबर है।
उत्तर प्रदेश में गोमांस खाने की अफवाह से एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या किए जाने की निंदा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इस प्रकार की घटनाएं देश की छवि खराब करती हैं।
कोई भी समाज ऐसे तंत्र को अनिश्चितकाल तक बनाए नहीं रख सकता जहां कमाई करने वाले व्यक्ति कर चोरी को जीवन का एक तरीका समझें। दुर्भाग्य से विगत में हमारे यहां टैक्स की दर काफी अधिक होने के चलते कर चोरी को प्रोत्साहन मिला। देश जब अपने नागरिकों पर तर्कसंगत दर से टैक्स लगाते हैं तो वे उन्हें ईमानदारी से उनकी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
अनिल कार्की विकल, विकट और अंतहीन छटपटाहटों का कवि है। ये मनुष्यि से आगे एक विचारवान मनुष्या होने की छटपटाहटें हैं, जो उसे समय में आगे-पीछे ले जाती रहती हैं। अनिल के पास विचार है और उसे वह दिमाग के किसी कोने में पस्त नहीं पड़े रहने देता।
देश के जाने-माने वकील और भाजपा से निष्कासित राम जेठमलानी ने पटना में मोदी विरोधी बयान देकर सियासी हलचल बढ़ा दी है। जेठमलानी ने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, उन्हें इस बात का अफसोस है कि एक वकील होते हुए भी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली के झांसे में आ गए। वह बिहार चुनाव में भाजपा को हारते हुए देखना चाहते हैं।
इस फिल्म का नाम सिंह इज ब्लिंग की बजाय सिंहनी इज ब्लिंग होना चाहिए। अगर फिल्म की दो सिंहनियों, सारा (एमी जैक्सन) और ऐमिली (लारा दत्ता) को निकाल दिया जाए तो इस 140 मिनट की फिल्म को 40 मिनट झेलना भी मुश्किल होगा।
भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में घोषणापत्र जारी करने के बजाय विजन के जरिए बिहार के विकास के लिए उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा की। विजन डाक्यूमेंट में भाजपा ने मेक इन इंडिया की तर्ज पर मेक इन बिहार व डिजिटल इंडिया पर जोर दिया है। इसके साथ ही लैपटाप, स्कूटी व रंगीन टीवी बांटने पर भी इस डाक्यूमेंट में जोर दिया गया है। लेकिन यह विजन क्या बिहार की जनता को लुभा पाएगी इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषक संशय ही जताते हैं।
लखनऊ के फोटो जर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी के कैमरे से ली गईं कुछ तस्वीरों ने न सिर्फ एक बुजुर्ग टाइपिस्ट को इंसाफ दिलाया बल्कि सोशल मीडिया की ताकत का भी अहसास करा दिया। पूरी ईमानदारी और साहस से अपना फर्ज निभाने वाले आशुतोष के जज्बे की भी खूब तारीफ हो रही है।
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए होने जा रहे चुनावी महाभारत के लिए मैदान तकरीबन सज चुका है। एक दूसरे को शिकस्त देने के इरादे से दोनों राजनीतिक गठबंधन अपने सेनापतियों के साथ आमने सामने डट गए हैं। तीसरी ताकत के नाम पर कुछ महारथी खुद के जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी और को हराने और किसी और की जीत में मददगार साबित होने की रणनीति के तहत अगल बगल से या फिर नेपथ्य में रह कर भी इस चुनावी महाभारत में अपनी भूमिका के लिए उद्धत हैं।
शुरुआती दौर में बिहार के शहरों में भाजपा प्रचार में आगे दिख रही है। अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए ऊंची जातियों को सक्रिय करने में सफल रही है, लेकिन आपसी फूट भी जबर्दस्त है। बिहारी मतदाता अपने पत्ते अभी खोलने को तैयार नहीं