आईसीसी मैच रैफरी क्रिस ब्राड ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पुणे में खेले गए पहले क्रिकेट टेस्ट की पिच को खराब रेटिंग दी है जहां मेहमान टीम ने तीन दिन के भीतर ही मैच जीत लिया था।
भारत में 13 साल में पहला टेस्ट जीतने के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम की सराहना करते हुए देश की मीडिया ने कहा है कि स्टीव स्मिथ की टीम एक दशक से भी अधिक समय बाद श्रृंखला जीतने में सक्षम है।
स्टीव ओकीफी के करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी से भारत को मामूली स्कोर पर समेटने के बाद कप्तान स्टीवन स्मिथ के जुझारू अर्धशतक की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने पहले क्रिकेट टेस्ट के दूसरे दिन 298 रन की कुल बढ़त के साथ अपनी स्थिति बेहद मजबूत कर ली।
उमेश यादव ने रिवर्स स्विंग गेंदबाजी का शानदार नमूना पेश किया लेकिन मिशेल स्टार्क ने दबाव के हालात में जुझारू अर्धशतक बनाकर भारत के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन कठिन पिच पर ऑस्ट्रेलिया को नौ विकेट पर 256 रन तक पहुंचाया।
भारत और ऑस्ट्रेेलिया के बीच गुरुवार से चार टेस्ट मैचों की सीरिज का आगाज हो रहा है। विराट कोहली के पास इस सीरिज में एक अनोखा रिकार्ड बनाने का मौका रहेगा। सचिन तेंदुलकर पूरे 200 टेस्ट मैचों के करियर में जो नहीं कर पाए थे वह विराट कोहली महज 58 टेस्ट में कर सकते हैं।
बेहतरीन फार्म में चल रहे और पिछले 19 मैचों से अजेय भारत गुरुवार को जब चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला के पहले मैच में आक्रामक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उतरेगा तो उसकी नजरें घरेलू मैदान पर अपने शानदार प्रदर्शन को बरकरार रखने पर टिकी होंगी।
आस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज माइकल हसी का मानना है कि मिशेल स्टार्क अपनी कुछ खास विशेषताओं के कारण चार टेस्ट मैचों की आगामी श्रृंखला में भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिये कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।
आगामी टेस्ट श्रृंखला में मिलनी वाली कड़ी चुनौती से अच्छी तरह वाकिफ आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने कहा है कि भारत में जीत हासिल करना उनकी टीम के खिलाड़ियों के लिये जिंदगी का सबसे सुखद क्षण होगा।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने बांग्लादेश के खिलाफ जीत के बाद कहा कि खिलाडि़यों का दिल और दिमाग पहले से ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बड़ी श्रृंखला पर लगा है जिसका पहला टेस्ट मैच 23 फरवरी से पुणे में खेला जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया के गिरजाघरों में बाल यौन शोषण संबंधी एक जांच के जो आकंड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं और उनका बचाव नहीं किया जा सकता। इनसे पता चलता है कि वर्ष 1950 से 2010 के बीच सात फीसदी कैथोलिक पादरियों पर बाल शोषण के आरोप लगे थे लेकिन इनकी कभी जांच नहीं की गई।