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जितेंद्र तोमर की कानून की डिग्री असली

जितेंद्र तोमर की कानून की डिग्री असली

फर्जी डिग्री रखने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली सरकार में मंत्री रहे जितेंद्र तोमर की लॉ की डिग्री असली निकली। जांच में पता चला कि तोमर ने 1998-99 में बिहार के एक कॉलेज से लॉ की परीक्षा पास की थी।
गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल के मंत्री का इस्तीफा

गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल के मंत्री का इस्तीफा

फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार हुए दिल्‍ली के कानून मंत्री जितेंद्र तोमर ने आखिरकार इस्‍तीफा दे दिया है। मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर इस मामले में लगातार तोमर का बचाव करने के आरोप लग रहे थे।
तोमर का दावा, डिग्री असली, पुलिस ले गई फैजाबाद

तोमर का दावा, डिग्री असली, पुलिस ले गई फैजाबाद

कथित रूप से धोखाधड़ी से डिग्री हासिल करने के आरोप में कल गिरफ्तार किए गए आप नेता जितेंद्र सिंह तोमर को लेकर आज दिल्ली पुलिस मामले में पूछताछ करने के लिए फैजाबाद पहुंची जबकि खुद तोमर ने इन आरोपों को गलत बताते हुए केंद्र सरकार पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। उधर, फैजाबाद की अवध यूनिवर्सिटी ने फिर कहा कि तोमर की स्नातक की डिग्री फर्जी है।
केरल में एक और एथलीट ने किया आत्महत्या का प्रयास

केरल में एक और एथलीट ने किया आत्महत्या का प्रयास

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के अधीनस्‍थ केरल के लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल के एक और प्रशिक्षु एथलीट ने आत्महत्या का प्रयास किया है।
दिल्ली के कानून मंत्री चार दिनों की पुलिस हिरासत में

दिल्ली के कानून मंत्री चार दिनों की पुलिस हिरासत में

कानून की डिग्री हासिल करने में धोखाधड़ी और जालसाजी करने के आरोपों में मंगलवार पूर्वाह्न गिरफ्तार किए गए दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को साकेत कोर्ट ने चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस अब तोमर को दोनों संबंधित यूनिवर्सिटी में ले जाकर जांच करेगी।
चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं। कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने। इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
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