रीयल एस्टेट क्षेत्र में बढ़ते ऑनलाइन बाजार के बीच एक नया पोर्टल डोरकीज डॉट कॉम पेश किया गया है जिसमें मुख्य तौर पर खरीदारों को ध्यान में रखते हुए सुविधाएं दी गई हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि देश सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए तैयार नहीं है और सरकार इन बैंकों को मजबूत बनाने के काम को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रही है। जेटली ने यह भी कहा कि आईडीबीआई बैंक को छोड़कर बाकी सरकारी बैंकों का सार्वजनिक स्वरूप बना रहेगा।
शिक्षा की बढ़ोतरी के लिए सक्रिय संस्था कन्फेडरेशन ऑफ एजुकेशन एक्सीलेंस सीईई ने शिक्षक दिवस के अवसर पर देशभर से आए शिक्षकों को दिल्ली में एक गरिमामय समारोह में सम्मानित किया। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रुप में दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया उपस्थित थे।
देश में कारोबार की परिस्थितियों में सुधार के साथ विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त में 13 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी। कंपनियों के मैनेजरों के बीच कराए जाने वाले एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वे से यह बात सामने आयी है।
देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर की तिमाही में ऊंची रहेगी। एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि निर्यात संभावनाओं तथा घरेलू मांग में सुधार से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर बेहतर रहेगी।
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ एजुकेशन एक्सीलेंस (सीईई) दिल्ली में शिक्षा सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। रोहिणी स्थित होटल क्राउन प्लाजा में 3 सितम्बर 2016 को "इण्डियन फिलोस्फिकल फाउंडेशन फॉर मॉडर्न एजुकेशन" पर ‘‘क्वालिटी ऑफ़ एजुकेशन’’ पर केन्द्रित सेमिनार आयोजित किया जाएगा। यहां ईसीओएनएस के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के गांवों में लोगों ने स्थानीय प्रशासन की अनूठी मुहिम के तहत अपने घरों के बाहर अपनी बेटियों की नेमप्लेट लगाई है, ताकि लड़कियों की शिक्षा एवं समाज में उनकी पहचान को सशक्त बनाया जा सके।
आरएसएस के सहयोगी संगठन असम की 31 आदिवासी लड़कियों को गुजरात और पंजाब में भगवा शिक्षा दिला रहे हैं। देश के कानून को धता बताते हुए असम के सीमावर्ती पांच जिलों से आदिवासी माता-पिता को बहला-फुसलाकर उनसे उनकी बेटियों को दूर कर दिया गया है। गुजरात और पंजाब में उन्हें हिंदूू जीवन प्रणाली अपनाने पर मजबूर किया जा रहा है।
देश में पिछले दो सालों में खाने पीने की चीजों के दामों में बेेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। लोग इसका रोना भी रो रहे हैं। लेकिन रोजमर्रा के उपयोग की इन वस्तुओं के दामों में कोई कमी नहीं आई। इन सबके बीच शिक्षा पर भी महंगाई की मार पड़ी है। पिछले दो सालोंं में स्कूलों की फीस और शिक्षण सामग्री भी महंगी हुई है।