गायिका मुबारक बेगम के जाने की ख़बर आयी तो दिल बैठ गया। मेरा उनसे करीब दस साल पुराना नाता रहा है। ज़माने ने वो हक़ मुबारक बेगम को कभी नहीं दिया जिसकी वो हक़दार थीं। मुबारक बेगम को ज्याकदातर बस फिल्मय ‘हमारी याद आयेगी’ के गाने ‘कभी तन्हाोईयों में यूं हमारी याद आयेगी/ अंधेरे छा रहे होंगे कि बिजली कौंध जायेगी’...के ज़रिये याद कर लिया जाता है। या फिर ‘मुझको अपने गले लगा लो ऐ मेरे हमराही’ (फिल्मं हमराही)। लेकिन मुबारक बेगम ‘वन सॉन्गा वंडर’ नहीं थीं।
कभी तनहाइयों में हमारी याद आएगी...सन 1961 का सबसे बड़ा हिट रोमांटिक गाना था। इसे गाया था, मुबारक बेगम ने। अस्सी की उम्र में मुबारक बेगम इस दुनिया को अलविदा कह गईं। उनके पीछे तनहाईयों में अब बस उनकी याद है।
बांग्लादेश के उत्तर में गुरुवार को ईद की नमाज के सबसे बड़े कार्यक्रम के नजदीक हुए बम विस्फोट में कम से कम चार लोगों के मारे जाने की खबर है। इनमें एक पुलिसकर्मी भी शामिल है। बारह अन्य घायल हो गए।
जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने अधिकारियों को डोगरा समुदाय के इतिहास पर आधारित प्रकाश और ध्वनि कार्यक्रम बनाने का निर्देश देते हुए मुबारक मंडी ऐतिहासिक कॉम्पलेक्स के मरम्मत कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा ताकि इसे पर्यटकों के लिए खोला जा सके।
देश के विभिन्न हिस्सों में मांस की बिक्री जहां प्रतिबंधित कर दी गई है, वहीं तीर्थनगरी अयोध्या ने ईद के दौरान यह पाबंदी हटाकर मिसाल कायम की है। इस देवनगरी में अमूमन सालभर गोकशी और मांस बिक्री पर प्रतिबंध रहता है लेकिन ईद के मौके पर इस बार तीन दिन के लिए मांस की बिक्री से प्रतिबंध हटा दिया गया है।
सुरक्षा एजेंसियों की भारी चौकसी के बीच शहर में आज भगवान जगन्नाथ की 138 वीं रथयात्रा और ईद उल फित्र का त्योहार मनाया गया। ये दोनों त्योहार 30 वर्ष बाद संयोग से एक ही दिन मनाये गये। धूमधाम से शुरू हुई इस रथयात्रा में हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
जम्मू एवं कश्मीर में शुक्रवार से शुरू हुई हिंसक झड़पें शनिवार को ईद के दिन भी जारी रहीं और अलगाववादियों ने कई जगह पाकिस्तान के झंडे लहराए। शनिवार को ईद की नमाज के बाद राज्य के अनंतनाग जिले और कई इलाकों में पथराव कर रहे युवकों तथा सुरक्षा बलों के बीच झड़प की घटनाएं हुईं। शहर के अंदरूनी इलाके में पाकिस्तानी झंडे लहराए जाने की खबरें हैं।
रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। यह मुकद्दस महीना खत्म होते-होते मीठी सेवइयों की खुशबू हवा में तैरने लगेगी। और एक बात जो फिजाओं में होगी वह है बजरंगी भाई जान के जलवे।