अनिल माधव दवे, एक शौकिया पायलट, लेखक, पर्यावरणविद, नदी संरक्षणवादी, एक सांसद, पर्यावरण मंत्री और विभिन्न भूमिकाओं के लिए पहचाने जाते रहे हैं। संघ से ताल्लुक रखने वाले अनिल दवे को एक प्रखर प्रवक्ता के तौर पर जाना जाता था। पर्यावरणविद अनिल माधव दवे का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर गांव में 6 जुलाई 1956 को हुआ था।
देश के कुछ प्रमुख किसान संगठनों ने जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती की सिफारिश किए जाने पर विरोध जताया है। जीईएसी द्वारा जीएम सरसों को अनुमती मिलने के बाद किसान संगठनों ने पर्यावरण मंत्रालय से इसको मंजूरी नहीं देने की मांग की है।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने वायु प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए आज कई निर्देश पारित किए जिनमें केंद्रीय और राज्य स्तर पर निगरानी समितियों का गठन करना भी शामिल है। न्यायाधिकरण ने उत्तर भारत के चार राज्यों से कहा कि पुराने डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने पर विचार करें ताकि पर्यावरणीय आपातकाल से निपटा जा सके।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का मानना है कि पर्यावरण भारत के जनमानस में है। बस जरूरत है तो इसके प्रति थोड़ी सी चेतना लाने की। किसी भी प्रयोग को करने से डरना नहीं चाहिए और नई बातों के लिए दिमाग खुला रखना चाहिए।
चीन में एक केन में रखकर ले जाए जा रहे रेडियोधर्मी आइसोटेप्स के गायब हो जाने से हलचल मच गई है। जिस केन में रेडियोधर्मी आइसोटोप्स रखे थे उसकी खोज के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि संपर्क में आने पर यह आइसोटोप मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।