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संविधान संशोधन हमारा आंतरिक मामला : नेपाली विदेश मंत्री

संविधान संशोधन हमारा आंतरिक मामला : नेपाली विदेश मंत्री

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की भारत यात्रा से पहले आज नेपाल ने साफ कर दिया है कि संविधान संशोधन का मुद्दा नेपाल का आंतरिक मामला है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को पूर्व में उपजे नाकेबंदी जैसे मसलों पर आत्मचिंतन करना चाहिए।
कश्मीर: दौरा खत्म कर बोले राजनाथ, घाटी के लोगों से भावनात्मक संबंध चाहते हैं

कश्मीर: दौरा खत्म कर बोले राजनाथ, घाटी के लोगों से भावनात्मक संबंध चाहते हैं

कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद के लिए लोगों से अपील करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य के साथ केंद्र सिर्फ जरूरत आधारित नहीं बल्कि भावनात्मक संबंध चाहता है। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे।
गाय के चमड़े की कमी : क्रिकेट की गेंद के दाम 400 से बढ़कर हुए 800 रुपए

गाय के चमड़े की कमी : क्रिकेट की गेंद के दाम 400 से बढ़कर हुए 800 रुपए

बीफ यानी गाय के मांंस पर प्रतिबंध और चमड़े के परिवहन में आ रही दिक्‍कत के बाद क्रिकेट की गेंद के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। जो गेंद एक साल पहले 400 रुपए की मिलती थी वहीं अब 800 रुपए की मिल रही है। उत्‍तर प्रदेश के कई इलाकों में बीफ पर बैन है। इसके अलावा गाय के चमड़ेे का परिवहन करने में अब ट्रांसपोर्टर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस वजह से गाय के चमड़े की किल्लत हो गई है। गाय के चमड़े से क्रिकेट की लाल गेंद बनाई जाती है। एक गाय के चमड़े से करीब तीन दर्जन गेंद तैयार की जा सकती हैं।
महबूबा की अलगाववादियों को फटकार

महबूबा की अलगाववादियों को फटकार

जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार बनने के बाद लोगों के बीच एक उम्मीद की नई किरण देखने को मिल रही है। इस सरकार से लोगों को काफी आशाएं हैं। आन्तरिक सुरक्षा को लेकर गठबंधन सरकार के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी हैं जैसे सीमापार घुसपैठ, अलगाववादियों से निपटना और आतंकी हमलों को काबू करना प्रमुख हैं। जब तक इन चुनौतियों पर काबू नहीं पाया जाएगा तब तक कश्मीर घाटी के लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधर सकता है।
कुपोषण से मुक्ति एक सपना बन गया है

कुपोषण से मुक्ति एक सपना बन गया है

कुपोषण एक ऐसी बीमारी जो कि बच्चों के विकास में बाधक ही नहीं बल्कि समाज के लिए चिंता का विषय है। कुपोषण से मुक्ति की सरकार लाख कोशिशें कर ले लेकिन इससे मुक्ति एक सपना बन गया है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठान और सेव द चिल्ड्रेन के लिए किए जा रहे शोध के दौरान पाया गया कि सरकारी आंकड़े कुपोषण को लेकर कुछ और स्थिति बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।
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