लोगों का आरोप है कि बांध के चलते बेघर हुए लोगों के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। विरोध प्रदर्शन में श्ाामिल एक व्यक्ति ने बताया कि ये सरकार शव के समान है, जो किसी की बात नहीं सुनती।
स्कूलों में जब अध्यापक अटेंडेंस लेते है तो अक्सर विद्यार्थी ‘यस सर’ या ‘यस मैम’ कहकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। लेकिन जल्द ही मध्यप्रदेश के स्कूलों में यह ट्रेंड बदलने वाला है।
आमतौर पर जन आंदोलनों की तरफ ध्यान तभी जाता है जब कोई बड़ी हस्ती शामिल हो या कहीं हिंसा भड़क जाए। लेकिन पिछले दो हफ्ते से राजस्थान के शेखावाटी में फैला किसान आंदोलन न सिर्फ शांतिपूर्ण है बल्कि अपने मुद्दों और मकसद पर कायम भी है।
जेएनयू में वामपंथ को न मानने वालों के बीच एक ज़ुमला खासा मशहूर है कि देश भर के लेफ्टिस्टों को एक पिंजरे में बंद करने के लिए इंदिरा गाँधी ने जेएनयू बनाया। जेएनयू ही वो जगह है जहाँ (1969 से 2016 तक एक उदाहरण को छोड़कर जब 2001 में एबीवीपी के संदीप महापात्र कुछ वोटों से जीत गए थे) चुनाव दर चुनाव वामपंथ अपना किला सलामत रख सका है।