दिल्ली सरकार ने कपिल मिश्रा को दिल्ली का नया कानून मंत्री नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह फैसला जितेंद्र सिंह की गिरफ्तारी और इस्तीफे के एक दिन बाद ही किया है जिन पर फर्जी डिग्री अपनाने का आरोप है।
आम आदमी पार्टी के विधायकों के ग्रह नक्षत्र लगता है ठीक नहीं चल रहे हैं। पहले जितेंद्र सिंह तोमर फर्जीवाड़े में पकड़े गए। इसके बाद एक अन्य विधायक पूर्व कमांडो सुरिंदर सिंह पर फर्जी डिग्री का आरोप लग रहा है और अब पार्टी के चर्चित और विवादों में रहने वाले नेता सोमनाथ भारती आरोपों के घेरे में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को आदेश जारी किया है कि वह 9 जून तक प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा (पीएमईटी) के नतीजे घोषित न करें क्योंकि हरियाणा पुलिस 4 मई को हुई परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने की जांच कर रही है।
क्या बिना मीट परोसे आप किसी को सिर्फ मीट मसाला खिला सकते हैं? कूटनीतिक और राजनयिक समाचार कथाओं के संदर्भ में भारतीय मीडिया अक्सर यही करता है। वह मसाला चखाने के चक्कर में मीट परोसना भूल जाता है। विदेश नीति और राजनय से संबंधित घटनाक्रम अक्सर आम जनजीवन से इतने दूर और ओट में होते हैं कि आम दर्शक अमूमन मसाले को ही मीट समझने की भूल कर बैठता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा की राजनयिक कथा में मंगोलिया दौरे की उपकथा की अहमियत भारतीय मीडिया की नजरों से ओझल रही और यह अहम उपकथा आम भारतीय दर्शक या पाठक की प्लेट में परोसी ही नहीं गई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि समुचित वित्तीय मॉडल का अभाव कई मीडिया संगठनों के लिए एक वास्तविक चुनौती बनी हुई है। यह स्थिति न सिर्फ समाचार की विषय वस्तु को प्रभावित करती है बलिक पेड न्यूज जैसी समस्या का भी मार्ग प्रशस्त करती है।
ग्रीनपीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई के पासपोर्ट से आधिकारिक तौर पर ऑफलोड मुहर को हटा ली गई है। इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो द्वारा जारी विवादास्पद ‘लूक आउट सर्कुलर’की कार्रवाई के बाद पिछले चार महीनों से जारी घटनाक्रम पर विराम लग गया है।
बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंड पीठ के सामने जिस तरह सरकार और पीठ के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, उसे देखते हुए अब तक फुसफुसाए जा रहे कुछ सवाल थोड़ा ज्यादा जोर से सुनाई पडऩे लग गए हैं। क्या कार्यपालिका और न्यायपालिका एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रही हैं? क्या संसद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक पारित करने में हड़बड़ी दिखाई ?
ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्पष्ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।