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धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले बोल्ट को नहीं मिली 'गोल्डन विदाई', गैटलिन ने जीता गोल्ड

धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले बोल्ट को नहीं मिली 'गोल्डन विदाई', गैटलिन ने जीता गोल्ड

दो बार डोपिंग के लिए बैन हुए और पिछली दो विश्व चैंपियनशिप में बोल्ट से पिछड़ने के बाद सिल्वर मेडल से संतोष करने वाले गैटलिन ने 9.92 सेकेंड के समय के साथ गोल्ड जीता।
जानिए जस्टिन बीबर को बीच कंसर्ट में क्यों मांगनी पड़ी भारतीयों से माफी

जानिए जस्टिन बीबर को बीच कंसर्ट में क्यों मांगनी पड़ी भारतीयों से माफी

कहने कि जरूरत नहीं है की जस्टिन बीबर का दीवानापन सर चढ़ गया था। इस कंसर्ट के टिकट 75 हजार रुपये तक बिके। जस्टिन बीबर को सुनने के लिए मुंबई फिल्म उद्योग की नामी हस्तियां भी पहुंची थीं। पिछले कुछ दिनों से उनकी हर हलचल खबर थी। बुधवार को जब वह स्टेडियम में पहुंचे तो हर कोने से उनका नाम पुकारा जा रहा था।
आज चढ़ेगा मुंबई में बीबर का फीवर..

आज चढ़ेगा मुंबई में बीबर का फीवर..

इंटरनेशनल पॉप सेंसेशन जस्टिन बीबर आज नवीं मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में परफॉर्म करेंगे। जस्टिन की टीम मुंबई पहुंच चुकी है और कॉन्सर्ट की तैयारियों में जुटी हुई है। कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खास इंतजाम किए गए हैं। जस्टिन के इस कॉन्सर्ट को अब तक का सबसे बड़ा और महंगा कॉन्सर्ट माना जा रहा है।
कौन बनेगा भारत में ग्रेमी विजेता बीबर का मेजबान

कौन बनेगा भारत में ग्रेमी विजेता बीबर का मेजबान

कनाडा के गायक जस्टिन बीबर आठ मई को मुंबई पहुंच रहे हैं। यहां वह अपने जियो जस्टिन बीबर पर्पस वर्ल्ड टूर के लिए आ रहे हैं। भारत में कार्यक्रम कराने की जिम्मेदारी वाइट फॉक्स इंडिया की है। तैयारियां पूरी हैं सिवाय इसके कि उनकी मेजबानी कौन करेगा।
रियो में सफलता के लिये भूखे हैं गैटलिन

रियो में सफलता के लिये भूखे हैं गैटलिन

अमेरिका के फर्राटा धावक जस्टिन गैटलिन ने कहा कि वह सफलता के लिये भूखे हैं और उसैन बोल्ट को कड़ी चुनौती देने और अपना दूसरा ओलंपिक खिताब जीतने के लिये पूरी तरह से तैयार हैं।
कोमागाता मारू पर कनाडा की माफी

कोमागाता मारू पर कनाडा की माफी

कोमागाता मारू जलपोत पर सवार 376 से ज्यादा भारतीय आव्रजकों को लौटा देने के 102 साल बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टुडू ने उस वक्त के विभेदकारी कानूनों की वजह से हुए बड़े अन्याय के लिए कनाडाई संसद में औपचारिक रूप से अफसोस जताया। इस पोत पर ज्यादातर भारत के सिख सवार थे।
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