प्रख्यात समाजवादी चिंतक, संपादक और कवि कमलेश का शनिवार सुबह दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। वह 78 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
वर्ष 1975 की 25 जून को इंदिरा गांधी सरकार ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा की और भारतीय राजनीति के इस काले अध्याय से जुड़ी घटनाओं को तब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एमसीडी बीट कवर करने वाली पत्रकार कूमी कपूर ने किताब की शक्ल दी है। यहां हम इस पुस्तक के कुछ अंशों को पाठकों के सामने ला रहे हैं जिनमें आपातकाल से ठीक पहले की घटनाओं का जिक्र है।
40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्या के लिए अक्सर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है कि देश में लोकतंत्र को कुचलने में सक्षम ताकतें मजबूत हुई हैं और दोबारा इमर्जेंसी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की आपातकाल संबंधी टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि बिहार एेसी स्थिति का हर दिन सामना कर रहा है।
टाइमपास पत्नी की भूमिका के बाद टाइम पास प्रेमिका की भूमिका में कंगना रणौत हाजिर हैं। बस इसके लिए दर्शकों को सितंबर तक इंतजार करना होगा। निखिल आडवाणी की रोमांटिक कॉमेडी कट्टी बट्टी में कंगना इस बार बांके छोरे इमरान खान के साथ जोड़ी जमा रही हैं।
क्वीन फिल्म का पुरस्कार जीतने का सिलसिला जारी है। विकास बहल की इस फिल्म ने आईफा अवॉर्ड समारोह में भी इस परंपरा को बनाए रखा। सोहलवें आईफा अवॉर्ड में क्वीन के साथ विशाल भारद्वाज की फिल्म हैदर की झोली में भी कई पुरस्कार आए। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री कंगना रनौत और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार शाहिद कपूर के नाम रहा।
पिछले लंबे समय से फिल्मों में व्यस्त रहने वाली कंगना अब ब्रेक ले रही हैं। ‘कई महीनों से मुझे अपने लिए फुर्सत के कुछ पल भी नहीं मिले।’ तनु वेड्स मनु रिटर्न्स में एक ‘चुनौतीपूर्ण’ दोहरी भूमिका, उसकी जल्दी रिलीज, तेज डबिंग शेड्यूल और उसके बाद के भागदौड़ भरे प्रोमोशंस से वह अब खासा थका महसूस कर रही हैं। इतना ही नहीं, वह कुछ बताती हैं कि फिल्म की सफलता से जुड़ा एक प्रोमेशन अभी किया जाना शेष है। एक शाम कंगना के खार स्थित घर में कॉफी पर बातचीत में अन्य विषयों के अलावा उनके निभाए चरित्रों का आकलन, बॉलीवुड की बदलती तस्वीर और हीरोइन का आज की इंडस्ट्री में बदलते स्थान पर हुई बातचीत के अंश
कंगना द्वारा यह कहकर फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन को ठुकराना कि सेलिब्रिटीज की भी कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए, मुझे बहुत पसंद आया। मुझे यकीन है कि बॉलीवुड के पुरुष सितारे इस पहाड़ी कन्या से कुछ नसीहत लेंगे। लेकिन मैं यह भी कहना चाहती हूं कि तनु वेड्स मनु रिटर्न्स मुझे बहुत उबाऊ लगी। फिल्म देखकर मुझे लगा कि आखिर उससे जुड़ा शोर किस बात का था। मुझे बरसों पहले गैंगस्टर (जिसमें अब लगभग बर्बाद हो चुका शाइनी आहूजा भी लाजवाब था) में अपने लीक से जुदा रूप रंग से भाने वाली कंगना की यह अब तक की सबसे बेकार फिल्म लगी। मेरी राय में वह नशे की शिकार मॉडल के रूप में फैशन में अपने छोटे से रोल में प्रियंका चोपड़ा से कहीं अधिक असरदार रही थी। वहीं क्वीन, फिल्म और उसकी नायिका दोनों बेहद चमत्कारी थे।
तनु-मनु ने अपने दर्शकों को खूब गुदगुदाया था। कंगना और माधवन की इस जोड़ी ने ‘ऑन स्क्रीन केमेस्ट्री’ को जैसे पंख लगा दिए थे। अब यही सफलता फिर दोहराई जाएगी, बस अगले हफ्ते।