उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों को जोशीमठ से लेकर बद्रीनाथ धाम तक की यात्रा से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एंड्रायड आधारित मोबाइल एप्लीकेशन जारी की है।
अभिनेता अरुण गोविल भारत के टीवी जगत में एक जाना पहचाना नाम हैं। लगभग 25 साल पहले रामायण में निभाए गए भगवान राम के किरदार के लिए पूरा देश उन्हें आज भी याद करता है। गोविल इस समय टीवी पर बहुत कम सक्रिय हैं। हाल ही में वे डीडी किसान चैनल से जुड़े हैं। और अब भाजपा से जुड़ने की खबरों से चर्चा में हैं।
किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में किसान संगठन लामबंद होने लगे हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए इस साल से शुरू हुए नए रास्ते, (सिक्किम से हो कर गुजरने वाला) के कारण उत्तराखंड से होकर जाने वाले पुराने मार्ग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इस रास्ते को लेकर तीर्थ यात्रियों के बीच आकर्षण कम नहीं हुआ है।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भगवान जगन्नाथ की सदी की प्रथम नबकलेबर यात्रा पुरी में शनिवार को पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ निकाली गई। देश विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की नयी मूर्तियों की नौ दिनों की यात्रा देखने के लिए पुरी आए हैं। यह यात्रा गुंडीचा मंदिर तक होगी और वहां से अपने अपने मूल स्थान पर लौटेगी।
सुरक्षा एजेंसियों की भारी चौकसी के बीच शहर में आज भगवान जगन्नाथ की 138 वीं रथयात्रा और ईद उल फित्र का त्योहार मनाया गया। ये दोनों त्योहार 30 वर्ष बाद संयोग से एक ही दिन मनाये गये। धूमधाम से शुरू हुई इस रथयात्रा में हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
रात भर हुई भारी बारिश की वजह से कई स्थानों पर हुए भूस्खलन के कारण अवरूद्ध जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे 68 वाहन और 2,000 से अधिक यात्राी फंस गये हैं।
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और विधायक मनोज तिवारी ने धारचुला आधार शिविर से वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज रवाना किया।
कृषि और किसानों के मुद्दों पर केंद्रित डीडी किसान चैनल का मंगलवार (२६ मई) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुभारंभ करेंगे। सरकार के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में शुरू किए जा रहे इस चैनल का मकसद सरकार की योजनाओं को किसानों के बीच पहुंचाना है। साथ ही किसानों की समस्याओं से सरकार को अवगत कराना है।
चौ. टिकैत के आन्दोलन में न तो नेताओं की भरमार थी और न पदाधिकारियों की कतार। इस आन्दोलन में शामिल हर व्यक्ति सिर्फ किसान था। चौ. टिकैत जनता के बीच से आए थे और अाखिरी दम तक जनता के बीच रहे। यही सादगी और खरापन उनकी पहचान बन गया। उनकी मृत्यु के बाद किसान आन्दोलन में पैदा खालीपन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।