महागठबंधन की इस आंधी में बिहार की राजनीति के कई बड़े और चर्चित चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा, लोजपा और हम के साथ साथ एमआईएम के कई बड़े नेता हार गए हैं।
कोई भी समाज ऐसे तंत्र को अनिश्चितकाल तक बनाए नहीं रख सकता जहां कमाई करने वाले व्यक्ति कर चोरी को जीवन का एक तरीका समझें। दुर्भाग्य से विगत में हमारे यहां टैक्स की दर काफी अधिक होने के चलते कर चोरी को प्रोत्साहन मिला। देश जब अपने नागरिकों पर तर्कसंगत दर से टैक्स लगाते हैं तो वे उन्हें ईमानदारी से उनकी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
एक तरफ जहां मोदी के समर्थन में जुटाया जा रहा फैन-फेयर, वहीं गुजरात नरंसहार की काली छाया अब भी बरकरार, एलाइंस फॉर जस्जिस एंड अकॉन्टबिल्टी की सक्रियता बढ़ी
एनडीए में भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने आज बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 17 उम्मीदवारों की घोषणा की और साफ किया कि उसके किसी उम्मीदवार को टिकट पारिवारिक संपर्क के कारण नहीं दिया गया है।
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए होने जा रहे चुनावी महाभारत के लिए मैदान तकरीबन सज चुका है। एक दूसरे को शिकस्त देने के इरादे से दोनों राजनीतिक गठबंधन अपने सेनापतियों के साथ आमने सामने डट गए हैं। तीसरी ताकत के नाम पर कुछ महारथी खुद के जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी और को हराने और किसी और की जीत में मददगार साबित होने की रणनीति के तहत अगल बगल से या फिर नेपथ्य में रह कर भी इस चुनावी महाभारत में अपनी भूमिका के लिए उद्धत हैं।
बिहार में राजद-जदयू-कांग्रेस महागठबंधन ने उन सीटों की घोषणा कर दी जिनपर अलग-अलग तीनों पार्टियां चुनाव लड़ेंगी। कुल 243 सीटों में अब राजद और जदयू 101-101 और कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ेगी। पटना में तीनों दलों के संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी गई है।
एनडीए के घटक दलों में हुए सीट समझौते के बाद गठबंधन के लगभग हर दल में नाराजगी है। लोजपा के रामा सिंह के बाद अब भाजपा के दो विधायकों ने टिकट न मिलने पर बागी रुख अख्तियार कर लिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। रामविलास पासवान की लोजपा 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी 23 और जीतनराम मांझी की पार्टी हम 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
रामविलास पासवान अपने पुत्र और भाइयों से ऊपर अपने को और अपनी पार्टी लोजपा को कभी भी नहीं बढ़ने दे सके। उनकी पूरी राजनीति केवल अपने परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। यह कहना है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का।
बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच बढ़ा संकट पैदा हो गया है। भाजपा के सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने सीटों की मांग करके एक नए सियासी समीकरण के संकेत दे दिए हैं। इतना ही नहीं इन दलों ने भाजपा के नारे अबकी बार भाजपा सरकार को बदलने को कहा है।