पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने से मिले अलकायदा के एक दस्तावेज में साल 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए मुंबई हमले को जाबांज फिदाई बताया गया है।
क्या बिना मीट परोसे आप किसी को सिर्फ मीट मसाला खिला सकते हैं? कूटनीतिक और राजनयिक समाचार कथाओं के संदर्भ में भारतीय मीडिया अक्सर यही करता है। वह मसाला चखाने के चक्कर में मीट परोसना भूल जाता है। विदेश नीति और राजनय से संबंधित घटनाक्रम अक्सर आम जनजीवन से इतने दूर और ओट में होते हैं कि आम दर्शक अमूमन मसाले को ही मीट समझने की भूल कर बैठता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा की राजनयिक कथा में मंगोलिया दौरे की उपकथा की अहमियत भारतीय मीडिया की नजरों से ओझल रही और यह अहम उपकथा आम भारतीय दर्शक या पाठक की प्लेट में परोसी ही नहीं गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग से बातचीत में दोनों देशों के संबंधों में समस्या पैदा करने वाले मसलों को भी उठाया। इस दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की ओर से बड़े पैमान पर निवेश पर उन्होंने चिंता जताई जबकि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने के संदर्भ में वीजा मसले पर ठोस प्रगति की उम्मीद चाही।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के मुखिया शहरयार खान भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों को फिर बहाल करने के प्रयास के तहत भारत आए और यहां भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारियों से मिले।
पाकिस्तान के दक्षिणी बंदरगाह शहर कराची में बुधवार को आठ बंदूकधारियों ने एक बस में घुस कर यात्रियों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी जिसमें अल्पसंख्यक शिया इस्माइली मुस्लिम समुदाय के कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कराची में शिया इस्माइली समुदाय को निशाना बनाकर किए गए हमले की निंदा की है और कहा है कि दुख की इस घड़ी में भारत पाकिस्तान की जनता के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ा है।
मिसरा बेशक यह साहिर लुधियानवी के गीत का है लेकिन अफसानानिगार सआदत हसन मंटो पर सटीक बैठता है। ताउम्र ढोंग, तमाशे और साहित्य की राजनीति से दूर रहने वाले मंटो ने कहा था- ‘ हर शहर में बदरौएं और मोरियां मौजूद हैं जो शहर की गंदगी को बाहर ले जाती हैं। हम अगर अपने मरमरी गुसलखानों की बात कर सकते हैं, अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्रकर सकते हैं तो उन मोरियों और बदरौओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन की मैल पीती हैं।‘ मंटो की 100वीं जन्मशताब्दी से लेकर आज तक उनके नाम पर उनके तथाकथित मुरीदों ने राजनीति, तमाशा और ढोंग ही किया है। मंटो के इन मुरीदों को वह सब चाहिए जो मंटो को नहीं चाहिए था। मंटो के माएने तो यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मंगलवार को राज्य के लोगों से कहा कि व्यवस्था को पटरी पर लाने में वक्त लगेगा इसलिए पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के साथ थोड़ा धीरज रखें।
पिछले आठ दशक से भी ज्यादा समय में आए सबसे भीषण भूकंप की त्रासदी का सामना कर रहे नेपाल में भारत सहित दुनिया भर से आए राहतकर्मी पीडि़तों तक पहुंचने और उनको मदद पहुंचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।