Advertisement

Search Result : "Pakistan media"

पड़ोसी अल्‍पसंख्‍यक : भारत में बसना हुआ आसान, पैन-आधार कार्ड भी बनवा सकेंगे

पड़ोसी अल्‍पसंख्‍यक : भारत में बसना हुआ आसान, पैन-आधार कार्ड भी बनवा सकेंगे

भारत सरकार ने अपने पड़ोसी देशों के अल्‍पसंख्‍यक नागरिकों को नया उपहार दिया है। आपसी संबंध सुधारने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम हो सकता है। भारत ने इन देशों के अल्‍पसंख्‍यकों को वीजा की शर्तों में ढील दी है।
पेशावर स्कूल हमले का मास्टरमाइंड अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया

पेशावर स्कूल हमले का मास्टरमाइंड अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया

पाकिस्तान के पेशावर में एक सैनिक स्कूल पर किए गए आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड उमर मंसूर अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। पेशावर स्थित स्कूल पर वर्ष 2014 में हुए हमले में 140 से ज्यादा छात्रों की मौत हो गई थी।
दक्षिण चीन सागर पर फैसले से पहले मीडिया ने चीन को सतर्क रहने को कहा

दक्षिण चीन सागर पर फैसले से पहले मीडिया ने चीन को सतर्क रहने को कहा

दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले से पहले राष्ट्रीय एकजुटता का आह्वान करते हुए चीन की सरकारी मीडिया ने अमेरिका और जापान के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि चीन को सतर्क रहना चाहिए।
चर्चा : कश्मीर पर मीडिया का संयम जरूरी। आलोक मेहता

चर्चा : कश्मीर पर मीडिया का संयम जरूरी। आलोक मेहता

कश्मीर में हिजबुल के खूंखार आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा और बिगड़ी स्थिति चिंताजनक है। ऐसी हालत में एक बार फिर मीडिया सवालों के घेरे में है। निश्चित रूप से स्वतंत्र मीडिया दुनिया भर को तथ्य पहुंचाता है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे लोकतांत्रिक देशों की समस्याएं, आतंकवादी घटनाएं और हिंसा की समस्याएं भारत से भिन्न हैं।
शरीफ बोले, बुरहान की मौत शर्मनाक, सईद के लिए वानी शहीद, भारत का विरोध

शरीफ बोले, बुरहान की मौत शर्मनाक, सईद के लिए वानी शहीद, भारत का विरोध

हिज्‍बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद जहां घाटी सुलग रही है, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान ने वानी की मौत पर दुख जताया है। पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से लेकर आतंकी आका हाफिज सईद तक वानी के लिए शोक मना रहे हैं। भारत ने पाकिस्‍तान की प्रतिक्रिया पर विरोध व्‍यक्‍त किया है। उसने कहा हैै कि पाकिस्‍तान भारत के आंतरिक मामलों में दखल न दे।
दो बेगमों की जिद ने बांग्‍लोदश में खड़े किए मुश्किल हालात

दो बेगमों की जिद ने बांग्‍लोदश में खड़े किए मुश्किल हालात

बांग्‍लोदश के जन्‍म के समय कई लोगोें ने पाकिस्‍तान की मंशा का विरोध किया था। बांग्‍लादेश में 30 फीसदी अल्‍पसंख्‍यक हैं, जिन्‍हाेंने पाकिस्‍तान का साथ दिया था। इनमें सेना, पुलिस, नागरिक सेवक, इस्‍लामिक समूह जैसे जमात-ए-इस्‍लामी आदि शामिल थे। बांग्‍लोदश नेशनलिस्‍ट पार्टी की खालिदा जिया भी पाकिस्‍तान के पक्ष में हैं। प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्‍यक्ष शेख हसीना का भारत की तरफ झुकाव है। हसीना भावुक हैं और कठोर फैसले नहीं ले पाती हैं। इन दोनों बेगमों की विचारधारा और कार्य करने का जो अंतर है, उसी में बांग्‍लादेश फंस गया है।
सीमा पर लगी बाड़ों के पार भी है संगीत में अकूत ताकत: सलमान अहमद

सीमा पर लगी बाड़ों के पार भी है संगीत में अकूत ताकत: सलमान अहमद

सूफी रॉक बैंड जुनून से 1990 के दशक में मशहूर हुए पाकिस्तानी गायक-गिटार वादक सलमान अहमद का कहना है कि सीमा पर लगी कांटेदार बाड़ों के पार भी संगीत में अकूत ताकत है और कोई बाधा इसे रोक नहीं सकती है। 90 दशक में पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु संलयन के बजाय सांस्कृतिक मेल-मिलाप की वकालत करने के लिए इस पाकिस्तानी गायक पर गद्दार का ठप्पा लगा था।
चर्चाः सोशल बनाम एंटी सोशल मीडिया| आलोक मेहता

चर्चाः सोशल बनाम एंटी सोशल मीडिया| आलोक मेहता

महिला और बाल विकास मं­त्री मेनका गांधी ने सोशल मीडिया में महिलाओं के प्रति अपमानजनक अभद्र टिप्पणी करने और धमकी देने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की है। सबसे बड़ा संकट यह है कि सोशल मीडिया के ‘ट्विटर’ जैसे माध्यम में संदेश के नाम पर अपराध करने वालों की सही नाम और पतों को खोजना असंभव सा है।
कन्या भ्रूण हत्या में भारत चौथे नंबर पर

कन्या भ्रूण हत्या में भारत चौथे नंबर पर

एसीएचआर के ग्लोबल सर्वे से सामने आया सच कि दुनिया के कई देशों में बेटों की चाह में बेटियों को मारा जा रहा है। बड़े देशों में भारत के हाल सबसे बदतर। कई अविकसित देशों से भी बदतर है भारत में लिंग अनुपात
आतंकवाद : ब्रांडिंग नई, चुप्पी वही

आतंकवाद : ब्रांडिंग नई, चुप्पी वही

आतंकवाद आज किसी एक देश, प्रांत की समस्या नही बल्कि समूची दुनिया के लिये चुनौती बन गया है। ये आंतकी भले ही अलग-अलग देशों से ताल्‍लुकात रखते हों पर इनके नापाक इरादे एक से हैं। चिंतित होने वाली बात है कि इस बढ़ती कट्टरता की ओर पढ़ा-लिखा मुस्लिम युवा भारी मात्रा मेंं जुड़ रहा है। लेकिन मुस्लिम समुदाय के ही मौलवी और बड़े बुजुर्ग समझदार इसके विरोध में अभी तक खुलकर सामने नहीं आए हैं।
Advertisement
Advertisement
Advertisement