भारतीय रिजर्व बैंक के नये गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल के सामने अपने पूर्ववर्ती रघुराम राजन के अधूरे एजेंडे को पूरा करने की महत्ती जिम्मेदारी होगी। इस अधूरे काम में बैंकों की गहरी शल्यक्रिया तथा मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई जीतना शामिल है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल समाप्त हो गया। अपने अंतिम भाषण में रघुराम राजन ने देश के केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का संरक्षण करने को कहा है। राजन ने कहा कि सरकार के शीर्ष स्तर को ‘ना’ कहने की रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता का संरक्षण होना चाहिए। सरकार के साथ नीतिगत मतभेद पर उनके पूर्ववर्ती डी सुब्बाराव के बयान को याद करते हुए राजन ने कहा, हमें कुछ और आगे बढ़ना होगा, रिजर्व बैंक को केवल मौजूद नहीं रहना होगा बल्कि इसकी ना कहने की क्षमता का संरक्षण किया जाना चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए वे अपने पद पर कुछ समय और रुकना चाहते थे, लेकिन अपने सेवाकाल के विस्तार के बारे में सरकार से 'उचित तरह का समझौता' नहीं वह नहीं कर सके।
रिजर्व बैंक द्वारा बांड बाजार में सुधार संबंधी कल किए गए महत्वपूर्ण निर्णयों से बैंकों में पूंजी और नकदी की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी तथा इससे देश के बांड बाजार का विस्तार होने की संभावना है। रेटिंग एजेंसियों ने इसे बैंकों के लिए अच्छा कदम बताया है।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर अपना हमला जारी रखते हुए उन्हें सूक्ष्म दृष्टि वाला बताया और कहा कि इन्हें अमेरिका ने भारत पर थोपा है।
नए आरबीआई गवर्नर के पद पर उर्जित पटेल की नियुक्ति से भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी को पर्याप्त संतोष हैं। स्वामी ने निवर्तमान आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर कई हमले किए थे। कई रीट्वीट और अपने ट्विटर फॉलोवरों को जवाब देते हुए स्वामी ने कहा कि यह सोचना ‘बेवकूफाना’ होगा कि वह पटेल की इस पर आलोचना करने की सोचेंगे कि उनका जन्म केन्या में हुआ।
सितंबर में आरबीआई के गवर्नर पद से मुक्त होने वाले रघुराम राजन का मानना है कि अगर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कुछ भी बोलेंगे, उससे समस्या ही होगी। राजन अपने कार्यकाल के दौरान समय-समय पर सरकार की आलोचना करने के लिए चर्चाओं में रहे हैं।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई बढने की चिंताओं के मद्देनजर नीतिगत दरों में आज कोई बदलाव नहीं किया हालांकि उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बैंक मौद्रिक नीति के मामले में उदार रख बनाये रखेगा। उन्होंने नीतिगत दर में पिछली कटौतियों का पूरा लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने के लिये बैंकों की फिर आलोचना की।