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Search Result : "Raj Bhavan राजस्थान"

आवाज बदलेंगे इमरान हाशमी

आवाज बदलेंगे इमरान हाशमी

सीरियल किसर, किसिंग बॉय जैसे नामों से नवाजे जाने वाले इमरान हाशमी कुछ नया करना चाहते हैं। इमरान अपनी आने वाली फिल्म राज रीलोडेड में चैलेंजिंग किरदार निभाते हुए दिखेंगे।
सरकार से जवाब मांग रही एक यात्रा

सरकार से जवाब मांग रही एक यात्रा

‘जवाबदेही यात्रा जवाब पूछे रे, बोलों क्यूं नि रे?’ यह बोल उस गीत के हैं जो एक अनूठी यात्रा के तहत गाया जा रहा है। इन दिनों राजस्थान में सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान के बैनर तले यह यात्रा निकाली जा रही है। गीतों के जरिये सरकार से सवाल किए जा रहे हैं। जवाबदेही मांगी जा रही है। इस यात्रा का सरकार से सवाल है कि वह बनी तो जनता के लिए है लेकिन सही तरीके से काम नहीं होने की वजह से जवाबदेही तय क्यूं नहीं करती।
पुरुष-पुरुष प्यार के कारण जीवन जेल हो गया

पुरुष-पुरुष प्यार के कारण जीवन जेल हो गया

राजस्थान के रहने वाले नकुल शर्मा काफी परेशान हैं। इस दफा उन्हें संसद से काफी उम्मीद थी कि धारा 377 से संबंधी विधेयक पर जरूर कुछ न कुछ होगा। आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने गेंद संसद के पाले में डाली है। लेकिन कांग्रेसी नेता शशि थुरूर का विधेयक पटल तक पर नहीं आ सका। इस संबंध में नकुल शर्मा की परेशानी यह है कि वह गे यानी समलैंगिक हैं। उनका कहना है कि उन्हें लैंगिक अल्पसंख्यक का दर्जा चाहिए। अपनी कहानी के जरिये नकुल बताते हैं कि बलात्कार सिर्फ मर्द औरत के बीच नहीं होता है बल्कि उनके जैसे असंख्य लोगों के साथ होता है तो कोई कानून नहीं है जो उन्हें न्याय दिलवा सके।
शाहरूख के लिए ‘दिलवाले’ बने राज ठाकरे

शाहरूख के लिए ‘दिलवाले’ बने राज ठाकरे

तो क्या इसे यह समझा जाए कि राज ठाकरे ने शाहरूख खान को परोक्ष रूप से समर्थन दे दिया है। राज ठाकरे ने ‘राज’ यानी शाहरूख खान की आने वाली फिल्म दिलवाले से खुद को अलग कर लिया है।
राजस्थान में कोहरे के चलते यातायात प्रभावित

राजस्थान में कोहरे के चलते यातायात प्रभावित

कश्मीर में बर्फबारी के चलते राजस्थान में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट के साथ सर्दी का असर दिखने लगा है। उत्तर भारत में घने कोहरे के चलते रेल यातायात प्रभावित हो रहा है।
आईपीएल में पुणे और राजकोट दो साल के लिए नई टीमें

आईपीएल में पुणे और राजकोट दो साल के लिए नई टीमें

पुणे और राजकोट मंगलवार को इंडियन प्रीमियर लीग की नई फ्रेंचाइजी बन गई जो दो साल के लिए निलंबित चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रायल्स की जगह लेंगी। पुणे टीम को कोलकाता के व्यवसायी संजीव गोयनका की कंपनी न्यू राइजिंग ने खरीदा जबकि राजकोट को इंटेक्स मोबाइल ने खरीदा है।
रातें रोशन करती सूरज की तीली

रातें रोशन करती सूरज की तीली

सिर पर सुर्ख गुलाबी रंग की साड़ी का पल्लू , कंधों पर शॉल लपेटे हुए साठ वर्षीय रतन कंवर अपने काम में मग्न हैं। उनकी टेबल पर बिजली की तारें बिखरी हुई हैं और आसपास सौर लैंप रखे हैं। पेचकस हाथ में लिए वह कलपुर्जे के किसी बारीक पेच को सुलगा रही हैं। पूछे जाने पर ठेठ राजस्थानी में बताती हैं ‘ सूरज लालटण बणा री सूं । ‘ रतन कंवर जयपुर के ओखड़ास गांव की रहने वाली हैं। दस साल पहले इनके पति का देहांत हो गया था। दो शादीशुदा बेटे और दो बेटियां हैं लेकिन सभी अपनी जिंदगी में मसरूफ हैं। रतन कंवर का कहना है कि यहां यह काम सीखने के बाद वह अपने गांव लौटकर सौर लैंप और लालटेन बनाएंगी और उसे मरक्वमत करने का काम भी करेंगी। पढ़ाई-लिखाई के मामले में रतन कंवर के पास बताने को कुछ भी नहीं है लेकिन इस उम्र में इस विधा को सीखने के उनके जज्बे को सलाम है।
भाजपा मेरा राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल कर रही है: रॉबर्ट वाड्रा

भाजपा मेरा राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल कर रही है: रॉबर्ट वाड्रा

भाजपा शासित हरियाणा और राजस्थान में अपने जमीन सौदे को लेकर जांच का सामना कर रहे राबर्ट वाड्रा ने रविवार को कहा कि वह राजनीतिक बदले का विषय हो गए हैं और राजनीतिक औजार के तौर पर उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
बीमारू से बिकाऊ प्रदेश तक - रिसर्जेंट राजस्थान

बीमारू से बिकाऊ प्रदेश तक - रिसर्जेंट राजस्थान

रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप सम्मिट में देश दुनिया के धनकुबेरों का दो दिवसीय मिलन जयपुर में हुआ। राजस्थान सरकार द्वारा पूंजी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से किए गए इस आयोजन में 300 निवेश करार हुए जिनसे 4 लाख करोड़ का निवेश राज्य में आने की संभावना बनती दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं बल्कि इससे ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने का भी दावा किया जा रहा है। अनुमान है कि रिसर्जेंट राजस्थान के इस आयोजन पर राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये खर्च किया है। यह खर्च है कोई निवेश नहीं है। जनता की गाढ़ी कमाई का यह पैसा सिर्फ मेहमान नवाजी पर ही खर्च हो गया है। जयपुर की जनता को दो तीन दिन जो असुविधाएं झेलनी पड़ी वह तो अलग ही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जिस मुख्यमंत्री को अपने राज्य की जनता से मिलने तक कि फुर्सत नहीं होती है, कभी-कभार ही सभाओं में उनके दर्शन हो पाते हैं, वह पूंजीपतियों के मध्य कितनी आसानी से उपलब्ध हैं। यह अवसर राजस्थान के उन मतदाताओं को क्यों नहीं मिल पाता है जिन्होंने वोट दे कर प्रचंड बहुमत से उनकी सरकार चुनी है।
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