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जाट आरक्षण पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बरकरार रखी रोक, 3 सितम्बर को झज्जर में जाट रैली

जाट आरक्षण पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बरकरार रखी रोक, 3 सितम्बर को झज्जर में जाट रैली

कोर्ट ने इस मामले में नेशनल बैकवर्ड कमीशन से भी अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने 31 मार्च 2018 तक कमीशन को अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सीएम फडणवीस ने मराठा आरक्षण का मामला पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजा

सीएम फडणवीस ने मराठा आरक्षण का मामला पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजा

सीएम फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि मराठा आरक्षण की मांग को बैकवर्ड क्लास कमिशन को रेफर कर दिया है, जो मराठाओं को आरक्षण देने के आधार और संभावनाओं का अध्ययन करेगा।
मध्य प्रदेश: कांग्रेस में कौन होगा सीएम उम्मीदवार, रस्साकशी शुरू

मध्य प्रदेश: कांग्रेस में कौन होगा सीएम उम्मीदवार, रस्साकशी शुरू

किसान आंदोलन की ताप से मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी की आस लगाए बैठी कांग्रेस पार्टी में 'सीएम प्राजेक्ट' को लेकर रस्साकशी का दौर शुरू हो चुका है। बीते दिनों कांग्रेस के दिग्गजों ने जो दांव खेला है, वह थोड़ा चौकाता जरूर है, लेकिन अप्रत्याशित नहीं है।
कॉपीराइट की असल चिंता किसे है?

कॉपीराइट की असल चिंता किसे है?

कुमार विश्वास आजकल अपने यूट्यूब चैनल पर 'तर्पण' नाम से एक हिंदी के नामी कवियों को सांगीतिक श्रद्धांजलियाँ दे रहे हैं। प्रायः ये गीत उन्हीं के स्वर में होते हैं और उनपर ही फिल्माए गए हैं। नागार्जुन, निराला, महादेवी, दुष्यंत कुमार, भवानी प्रसाद मिश्र आदि रचनाकारों के क्रम में उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की कविता 'नीड़ का निर्माण फिर फिर' को भी गाया। बच्चन जी के सुपुत्र अमिताभ बच्चन को यह हरकत नागवार गुजरी और उन्होंने पहले ट्विटर पर अपनी नाराजगी का इजहार किया और फिर कुमार विश्वास को कानूनी नोटिस भिजवा दिया।
गसी मोरान: अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी, जिसकी ड्रेस ने ब्रिटेन की संसद में मचाया था हंगामा

गसी मोरान: अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी, जिसकी ड्रेस ने ब्रिटेन की संसद में मचाया था हंगामा

दुनिया का सबसे पुराना टेनिस टूर्नामेंट विंबलडन 3 जुलाई से शुरू हो गया। ग्रास कोर्ट पर खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट ने इस साल अपने 140 साल पूरे कर लिए हैं।
क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
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