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ओडिशा: शव की हड्डियां तोड़कर ढोने के मामले में एएसआई निलंबित

ओडिशा: शव की हड्डियां तोड़कर ढोने के मामले में एएसआई निलंबित

ओडि़शा के बालेश्वर जिले में एक वृद्ध महिला के शव के साथ अमर्यादित व्यवहार कर अपने कर्तव्य का उचित निर्वहन नहीं करने के मामले में राजकीय रेल पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) को निलंबित कर दिया गया।
कालाहांडी के बाद बालासोर, लाश की हड्डियां तोड़ गठरी बनाकर बांस के डंडे से ढोया

कालाहांडी के बाद बालासोर, लाश की हड्डियां तोड़ गठरी बनाकर बांस के डंडे से ढोया

एंबूलेंस नहीं देने के बाद ओडिशा के कालाहांडी में पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के मामले पर अभी भी बहस जारी है, इसी बीच इसी तरह का एक और प्रकरण सामने अाया है। राज्‍य के बालासोर में अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने के बाद महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़ उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन तक पहुंचाया गया।
एमपी में दबंग ने शवयात्रा का रोका रास्‍ता,तालाब से होते हुए श्‍मशान घाट पहुंची

एमपी में दबंग ने शवयात्रा का रोका रास्‍ता,तालाब से होते हुए श्‍मशान घाट पहुंची

मध्‍यप्रदेश में जबलपुर के पनागर के बिहर गांव में मानवता को शर्मसार करनेे वाला मामला सामने आया है। जिसके बाद भाजपा शासित इस राज्‍य की सामाजिक समरसता पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। गांव में एक दबंग ने अपनी जमीन से शवयात्रा ले जाने की अनुमति नहीं दी। मजबूरन लोगों को तालाब के बीच चार फीट पानी से शव को श्‍मशान घाट तक ले जाना पड़ा। मुसबीत यहीं कम नहीं हुई बल्कि लोग जब श्मशानघाट पहुंचे तो वहां पर सरकार की जमीन पर धान बोया गया था। नतीजन शव का अंतिम संस्‍कार निजी जमीन पर किया गया।
ओडिशा में पत्‍नी का शव लेकर उसे 10 किलोमीटर चलना पड़ा

ओडिशा में पत्‍नी का शव लेकर उसे 10 किलोमीटर चलना पड़ा

भुवनेश्वर के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा। उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली। व्यक्ति के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी थी।
ओलंपिक के बाद आराम करना चाहता हूं : राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच संधू

ओलंपिक के बाद आराम करना चाहता हूं : राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच संधू

राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच गुरबक्श सिंह संधू लंबे समय से भारतीय टीम से जुड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने अगले महीने होने वाले ओलंपिक के बाद अपने पद से हटने का संकेत दिया, उन्होंने कहा कि वह रियो अभियान खत्म होने के बाद आराम करना चाहते हैं।
भारत के बाल श्रम कानूनों में बदलावों पर यूनीसेफ ने चिंता जताई

भारत के बाल श्रम कानूनों में बदलावों पर यूनीसेफ ने चिंता जताई

यूनीसेफ ने भारत के बाल श्रम कानून में बदलावों पर गंभीर चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कहा कि ये बदलाव बच्चों को पारिवारिक उद्यमों में काम करने की इजाजत देते हैं और जोखिम भरे कामों की सूची कम करते हैं।
एक्सक्लूसिव- चिटफंड कंपनियों पर नजरदारी के लिए नई खुफिया एजेंसी

एक्सक्लूसिव- चिटफंड कंपनियों पर नजरदारी के लिए नई खुफिया एजेंसी

लुटने के बाद जांच-पड़ताल की जगह अब घोटाला न हो, इसके लिए नजरदारी के इंतजाम किए जा रहे हैं। सारधा जैसी चिटफंड कंपनियों को अंकुरित होने के पहले ही खत्म किया जा सके- इसके लिए अलग से एक खुफिया एजेंसी बनाने की तैयारी कर रही है भारत सरकार। इस एजेंसी का मुख्य काम होगा- अगर कोई फ्रॉड कंपनी मोटे ब्याज और मुनाफे का लालच देकर निवेश कराती है, तो उसकी जानकारी तुरंत ही शीर्षस्थ स्तर तक पहुंचे और कार्रवाई हो सके। यह एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मातहत काम करेगी।
ब्र‍ेग्जिट के बाद मेग्जिट का भूकंप : प्‍लीज, लौट आओ मेसी

ब्र‍ेग्जिट के बाद मेग्जिट का भूकंप : प्‍लीज, लौट आओ मेसी

देश बड़ा है या क्‍लब ? जो लोग लियोनेल मेसी के खेल में कोई कमी नहीं ढूंढ़ पाते, वे अंत में यही सवाल उछाल देते हैं। जैसा कि इन दिनों हो रहा है। आलोचक आंकड़ों के जरिये यह कुतर्क दे रहे हैं कि लियोनेल मेसी का दिल देश के लिए नहीं, क्‍लब के लिए धडक़ता है। क्‍लब के लिए वह जी-जान एक कर देते हैं लेकिन देश के लिए उनके मन में तरंगें तक नहीं उठतीं। और यह सब ऐसे खिलाड़ी के लिए कहा जा रहा है जो कई वर्षों से अर्जेंटीना की टीम की ताकत बना हुआ है। जिसके बूते अर्जेंटीना की टीम विश्वकप फाइनल खेलती है, लगातार दो बार कोपा अमेरिका कप के फाइनल में पहुंची है। कोई यह सवाल नहीं उठाता कि अर्जेंटीना तो फाइनल में पहुंचने लायक ही नहीं थी लेकिन इसके बावजूद मेसी उसे यहां तक ले आए। हां, फाइनल न जीत पाने का ठीकरा आलोचक जरूर उनके सिर पर फोड़ते रहे हैं। देश उनके लिए क्‍या है? यह उनका संन्यास का फैसला ही बता देता है।
मेडिकल रिसर्च के लिए अपना ‘मंदिर’ दान कर गए ‘पॉकेट हरक्युलिस’

मेडिकल रिसर्च के लिए अपना ‘मंदिर’ दान कर गए ‘पॉकेट हरक्युलिस’

वे मानव शरीर को ‘मंदिर’ मानते थे। मंदिर की तरह ही अपने शरीर की उन्होंने देखभाल की। 104 साल की उम्र पाई। यहां बात देश के पहले मिस्टर यूनिवर्स मनोहर आइच की हो रही है। रविवार को उनका निधन हो गया। वे अपने ‘मंदिर’ को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर गए। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उनका ‘मंदिर’ यानी शरीर मेडिकल के विद्यार्थियों के रिसर्च के काम आएगा।
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