उद्योग व्यवसाय जगत के विशेषज्ञों ने कहा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार के बजट में कार्पोरेट कर की दर में कटौती और उद्योगों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की कर रियायतों को धीरे-धीरे वापस लेने की शुरुआत कर सकते हैं। इसके साथ ही खास कर वेतनभोगी वर्ग की क्रयशक्ति बढाने के लिए व्यक्तिगत आय पर कर छूट की सीमा को मौजूदा ढाई लाख से कुछ ऊपर की जा सकती है।
सन 1951 में पहला काव्य संग्रह पथ के गीत का प्रकाशन। तब से निरंतर रचना कर्म में सक्रीय। आग की हंसी के लिए सन 2015 का साहित्य अकादमी सम्मान। कविता, उपन्यास, कहानी, ललित निबंध, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्तांत, डायरी, समीक्षा, संस्मरण आदि सभी विधाओं में लेखन। दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, शलाका सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, व्यास सम्मान सहित कई पुरस्कार एवं सम्मान।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानहानि मामले की एक याचिका पर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की कार्यप्रणाली और वित्तीय लेनदेन पर अंगुली उठाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद से जवाब मांगा है।
गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
डीडीसीए विवाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि डीडीसीए मे खिलाड़ियों के चयन के लिए अधिकारी सेक्स की मांग करते थे।
16 दिसंबर की शाम हिंदी भवन, दिल्ली में किताबघर प्रकाशन के संस्थापक पं. जगत राम आर्य के जन्मदिन पर कथाकार विवेक मिश्र को उनके उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ के लिए ‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान 2015’ प्रदान किया गया। यह सम्मान हर साल साहित्य की किसी एक विधा को प्रकाशन के संस्थापक श्री जगत राम आर्य की स्मृति में दिया जाता है। इस बार उपन्यास विधा की पांडुलिपियां आमंत्रित की गई थीं। तीन सदस्य के निर्णायक मंडल, असगर वजाहत, प्रताप सहगल तथा अखिलेश ने विवेक मिश्र के उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ को इस सम्मान के लिए चुना।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर कांग्रेस की उदासीनता को देखते हुए संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकेया नायडू ने मंगलवार की शाम इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आखिरी बैठक बुलाई थी लेकिन अब लगता है कि सरकार एक अप्रैल से इस कानून को लागू में असमर्थ ही नजर आ रही है।