भाजपा नेता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को आज पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। अभी इस पद का अतिरिक्त प्रभार अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल देख रहे हैं।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के करीब दो साल बाद उनकी मां हीरा बेन पहली बार 7 रेसकोर्स रोड स्थित उनके आधिकारिक आवास पर आईं।
मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से कुछ तस्वीरें सार्वजनिक कीं, जिसमें उन्हें अपनी मां को आवास के बगीचे की सैर कराते देखा जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का अनुमानित उम्मीदवार बनने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टिप्पणी करते हुए उन्हें चेताया है कि व्हाइट हाउस की दौड़ कोई रियलिटी शो नहीं है। उन्होंने साथ ही विवादित अरबपति के पूर्व रिकॉर्ड और बयानों की गहराई से जांच की भी मांग की।
देश के विभिन्न हिस्सों में मांस की बिक्री जहां प्रतिबंधित कर दी गई है, वहीं तीर्थनगरी अयोध्या ने ईद के दौरान यह पाबंदी हटाकर मिसाल कायम की है। इस देवनगरी में अमूमन सालभर गोकशी और मांस बिक्री पर प्रतिबंध रहता है लेकिन ईद के मौके पर इस बार तीन दिन के लिए मांस की बिक्री से प्रतिबंध हटा दिया गया है।
मुंबई के ब्रीच कैंडी में स्थित लिंकन हाउस को मशहूर उद्योगपति साइरस पूनावाला ने खरीद लिया है। 750 करोड़ रुपये में हुई इस डील को संपत्ति के क्षेत्र में देश का अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है।
दो काव्य-संग्रह, नदी के पार नदी (2002), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, मैं सड़क हूं (2011), बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। देश की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,आलेख,समीक्षाएं प्रकाशित। कुछ संपादित संग्रहों में कविताओं का चयन। हिंदी समय, (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) पर काव्य संग्रह' मैं सड़क हूं' की ई पुस्तक सहित कई कविताएं शामिल। कुछ कहानियां/लघु-कथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन/आकाशवाणी से कविताओं/कहानियों का प्रसारण।
राष्ट्रपति भवन में चाहे और बहुत कुछ हो मगर सफाई जरा कम है। हाल ही में जारी स्वच्छता अभियान रेटिंग में राष्ट्रपति भवन पिछड़ गया है। राष्ट्रपति भवन को हैदराबाद हाउस, विज्ञान भवन और जवाहरलाल नेहरू भवन ने पछाड़ा है।
प्रख्यात लेखक और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने शनिवार को कहा कि 28 साल पहले मेरठ के हाशिमपुरा में हुए जनसंहार मामले में तत्कालीन सरकार ने पीएसी बल के विद्रोह के डर से समुचित कार्रवाई नहीं की थी और बाद में आई तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने भी पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई गंभीर पहल करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की।