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पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध आतंकवाद का हल नहीं: करण जौहर

पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध आतंकवाद का हल नहीं: करण जौहर

फिल्मकार करण जौहर का कहना है कि उड़ी में हुए आतंकी हमले में गई जानों के लिए उनका दिल भी रोता है और वह देश का गुस्सा समझते हैं लेकिन पाकिस्तान के कलाकारों का बहिष्कार कर देना आतंकवाद का हल नहीं है।
तालिबान, आईएसआईएस और बोको हरम की तरह हैं नक्सली: रिपोर्ट

तालिबान, आईएसआईएस और बोको हरम की तरह हैं नक्सली: रिपोर्ट

अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से `नेशनल कॉन्सोर्टियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रेस्पांसेज टू टेररिज्म’ नाम की एक संस्था ने दुनिया भर से जमा किए गए आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में भारत में सक्रिय नक्सलियों (भाकपा- माओवादी) को तालिबान, आईएसआईएस और बोको हरम जैसे खतरनाक आतंकी गुटों के बाद चौथे नंबर का सबसे घातक उग्रवादी समूह बताया गया है। भाकपा (माओवादी) प्रतिबंधित है।
बिहार में नक्‍सलियों का लैंडमाइन विस्‍फोट, 10 कोबरा जवानों की मौत

बिहार में नक्‍सलियों का लैंडमाइन विस्‍फोट, 10 कोबरा जवानों की मौत

बिहार के औरंगाबाद के सोनदाहा जंगल में छानबीन को गए पुलिस और कोबरा बटालियन के जवानों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया। लैंड माइन आईईडी विस्फोट में कोबरा बटालियन के 10 कमांडो शहीद हो गये। शहीद हुए कमांडो 205 कोबरा बटालियन के कमांडो थे। घटना सोमवार की देर रात की है।
गाय के चमड़े की कमी : क्रिकेट की गेंद के दाम 400 से बढ़कर हुए 800 रुपए

गाय के चमड़े की कमी : क्रिकेट की गेंद के दाम 400 से बढ़कर हुए 800 रुपए

बीफ यानी गाय के मांंस पर प्रतिबंध और चमड़े के परिवहन में आ रही दिक्‍कत के बाद क्रिकेट की गेंद के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। जो गेंद एक साल पहले 400 रुपए की मिलती थी वहीं अब 800 रुपए की मिल रही है। उत्‍तर प्रदेश के कई इलाकों में बीफ पर बैन है। इसके अलावा गाय के चमड़ेे का परिवहन करने में अब ट्रांसपोर्टर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस वजह से गाय के चमड़े की किल्लत हो गई है। गाय के चमड़े से क्रिकेट की लाल गेंद बनाई जाती है। एक गाय के चमड़े से करीब तीन दर्जन गेंद तैयार की जा सकती हैं।
कुपोषण से मुक्ति एक सपना बन गया है

कुपोषण से मुक्ति एक सपना बन गया है

कुपोषण एक ऐसी बीमारी जो कि बच्चों के विकास में बाधक ही नहीं बल्कि समाज के लिए चिंता का विषय है। कुपोषण से मुक्ति की सरकार लाख कोशिशें कर ले लेकिन इससे मुक्ति एक सपना बन गया है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठान और सेव द चिल्ड्रेन के लिए किए जा रहे शोध के दौरान पाया गया कि सरकारी आंकड़े कुपोषण को लेकर कुछ और स्थिति बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।
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