उत्तराखंड के रामनगर में रहने वाले दीप रजवार अपने सोलो बैंड की वजह से सुर्खियों में हैं। वे बिना किसी की मदद लिए मुंह से माउथ ऑर्गन, हाथ से गिटार, पैरों से ड्रम बजाते हैं और इनकी धुन के साथ उनकी गायकी भी चलती रहती है। वे हर शाम कार्बेट पार्क के पास के होटलों में अपनी प्रतिभा से सैलानियों का दिल जीतते हैं।
एक गरिमामय समारोह में डॉ. सुनीता जैन को उनकी कृति क्षमा के लिए 25वां व्यास सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. जैन ने क्षमा के माध्यम से तुलसीदास-रत्नावली के संबंधों का मार्मिक वर्णन किया है।
संगीत सरहदें नहीं जानती, जाति, धर्म और बंटवारा नहीं मानती। पत्तों-पत्तों, हवाओं के रेशों-रेशों, बादलों के रुनझुन सी बूंदों में, हर रंगों की झलकियों में प्रतिपल ध्वनियां प्रवाहित होती हैं।