बिहार में बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है। राज्य में बाढ़ से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इससे प्रदेश के 10 जिलों के 17.85 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हैं।
कांग्रेस संगठन और विधायकों के दबाव के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए दो कांग्रेस विधायकों नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी को उसमें शामिल कर लिया। विकासनगर से विधायक नवप्रभात और बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी को सुबह राजभवन में आयोजित एक सादा समारोह में राज्यपाल डाॅ. कृष्णकांत पाल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह के दौरान मुख्यमंत्री रावत के अलावा उनके मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगी भी मौजूद थे।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तराखंड के अयोग्य ठहराए गए नौ विधायकों को अंतरिम राहत देने से मना कर दिया। इन विधायकों ने याचिका में अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने और विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी है।
संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस ने इस सत्र में जीएसटी विधेयक पर अपना पूरा सहयोग देने को कहा है। लेकिन कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मसले हैं जिन पर वह केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर अवश्य करेगी। कांग्रेस अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अपनी वापसी की है। इन दो राज्यों की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस विशेष रुप से उत्साहित है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित अनेक भागों में पिछले कुछ दिन से हो रही लगातार तेज बारिश से कई निचले स्थानों पर बाढ़ की स्थिति बन गई है। करीब आधे मध्यप्रदेश में तो पानी ही पानी हो गया है। कई नदियां उफान पर है। 16 जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वर्षा और बाढ़ से प्रदेश में अब तक 15 लोगों की मौत हुई है।
उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश, बादल फटने और बाढ़ से अब तक 29 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। वहीं मरने वालों की तादाद और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। पिथौरागढ़ से ही 11 लोगों के मरने की ख़बर है, जिनमें 3 बच्चे भी शामिल हैं। वहीं कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चमोली जिले के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार तड़के भारी बारिश होने और बादल फटने से 12 लोगों की मौत हो गयी तथा दर्जनों घर जमींदोज हो गये और मलबे में कई लोग दब गये। पिथौरागढ़ जिले के सिंघली क्षेत्र में बादल फटने से आठ लोगों की मौत हुई और 25 अन्य लापता हो गये।
तीन साल पहले 16 जून की रात केदारनाथ में हुई भारी जल प्रलय के निशान अब मिटने लगे हैं। केदारनाथ मंदिर के पास शांत बह रही मंदाकिनी के नवनिर्मित किनारे श्रद़धालुओं में शायद यही संदेश दे रहे हैं, कि जख्म कितना भी घातक हो, वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है। प्रलयंकारी उफान में 11,755 फुट की उंचाई पर स्थित हिमालयी धाम के डूबने के साथ ही देश भर से आये श्रद़धालु, पुजारी, व्यापारी और स्थानीय लोगों सहित करीब 5000 जिंदगियां बह गई थीं। रह गयी थी बस चीख और पुकार तथा अपनों का क्रंदन। उस मातमी माहौल को केदारनाथ की महिमा ने पीछे कर दिया है।
चार राज्यों में चुनावी हार का सामना करने वाली कांग्रेस अगले महीने चिंतन शिविर का आयोजन कर सकती है। शिविर का आयोजन या तो पार्टी के शासन वाले हिमाचल प्रदेश या फिर उत्तराखंड में होगा।
उत्तराखंड मामले पर शिवसेना ने गुरूवार को भाजपा को घेरते हुए कहा कि भाजपा को जनादेश संदेहजनक और गैरजरूरी कार्रवाइयां करने के लिए नहीं मिला है। साथ ही शिवसेना ने सवाल उठाया कि क्या भविष्य में देश में आपातकाल जैसी स्थिति उभर सकती है।