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नौकरियों के लिए बुरे दिन, भारतीय रेलवे में 11 हजार कर्मचारियों पर खतरा, छंटनी के संकेत

नौकरियों के लिए बुरे दिन, भारतीय रेलवे में 11 हजार कर्मचारियों पर खतरा, छंटनी के संकेत

नौकरियों को लेकर भारत में काफी बुरे दिन चल रहे हैं। आईटी सेक्टर में छंटनी के बाद अब भारतीय रेलवे ने भी इसी दिशा में बढ़ने के संकेत दिए हैं।
मोदी का 'अच्‍छे दिन' का नारा गडकरी की नजर में गले की हड्डी

मोदी का 'अच्‍छे दिन' का नारा गडकरी की नजर में गले की हड्डी

2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का नारा था अच्छे दिन। केंद्र में सरकार बने महज एक साल ही हुआ था कि भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने इसे एक जुमला बता दिया था। अब मोदी सरकार के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 'अच्छे दिन' के नारे को सरकार के गले में फंसी हड्डी बता दिया।
अभी नहीं आए हैं अच्छे दिन: पूर्व न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े

अभी नहीं आए हैं अच्छे दिन: पूर्व न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एन. संतोष हेगड़े का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी प्रयास किए हैं, लेकिन अच्छे दिन अभी नहीं आए हैं। न्यायमूर्ति को लगता है कि भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार को जनता को बताना चाहिए कि वे काला धन वापस लाने का चुनावी वादा पूरा करने में क्यों असमर्थ हैं।
अब नमोटेल अच्‍छे दिन का चुग्‍गा, सिर्फ 99 रुपए में मिलेगा

अब नमोटेल अच्‍छे दिन का चुग्‍गा, सिर्फ 99 रुपए में मिलेगा

कंपनियाें की तरफ से ग्राहकों को सस्‍ते फोन का लुभावना ऑफर जारी है। रिंगिंग बेल्स के फ्रीडम 251 स्मार्टफोन के वादे के बाद डोकोस एक्‍स 1 ने भी बेहद सस्ता स्मार्टफोन लाने को कहा था। लेकिन यह दोनों फोन अभी तक बाजार में नहीं आए हैं। अब एक और कंपनी ने सस्‍ते फोन का चुग्‍गा फेंका है।
रे की फिल्म पर वृत्तचित्र

रे की फिल्म पर वृत्तचित्र

सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
कहानी - आंटी

कहानी - आंटी

दिनेश पाठक चर्चित कथाकार हैं। सभी शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं। कुछ कहानियों का अन्य भाषा में अनुवाद भी हुआ है। अब तक उनके नौ कथा संग्रह, दो उपन्यास और एक संपादित पुस्तक प्रकाशित हुई है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में - शायद यह अंतहीन, धुंध भरा आकाश, जो गलत है, इन दिनों वे उदास हैं, रात के बाद, अपने ही लोग, पारुल दी, नस्ल और देखना एक दिन शामिल है।
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