युवा नेता जिग्नेश मेवाणी ने दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अावाज उठाने के लिए दलित संगठनाेें को अलवर से गुजरात तक यात्रा निकालने का सुझाव दिया है। देखना है वह खुद कब इस पर अमल करते हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी ने अपनी नयी पुस्तक में 2047 से पूर्व भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश का एक महासंघ गठित करने की वकालत की है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 28 दिसंबर को कुलकर्णी की किताब ‘अगस्त वॉइजेज-व्हाट दे सेड ऑन 14-15 अगस्त 1947 एंड इटस रिलिवेंस फॉर इंडिया-पाकिस्तान-बांग्लादेश कंफेडरेशन’ का यहां पर विमोचन करेंगे।
अल्पसंख्यक युवाओं की शिक्षा और कौशल विकास की दिशा में समग्र पहल नई मंजिल योजना को शुरू हुए एक वर्ष से अधिक समय गुजर गया है लेकिन चालू वित्त वर्ष में वित्तीय आवंटन किए जाने के बावजूद अब तक कोई धनराशि जारी नहीं की गई है।
बलूच कार्यकर्ताओं के एक समूह ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा मानवता के खिलाफ किए जा रहे अपराधों को रेखांकित करते हुए आजादी की मांग की।
महाराष्ट्र के लोकायुक्त को पिछले 30 महीनों में 14,000 शिकायतें मिली हैं और उनमें से 1,863 को बिना किसी कार्रवाई के बंद कर दिया गया है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई है।
मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने के लिए पिछले 16 साल से संघर्षरत र्इरोम शर्मिला चानू ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ दिया। इंफाल की अदालत में इरोम द्वारा अनशन तोड़ने की सूचना देने के बाद उन्हें जमानत दे दी।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।
मणिपुर की लौह महिला इरोम चानू शर्मीला कल मंगलवार की सुबह अपना 16 साल से जारी उपवास तोड़ेंगी। सैन्य बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल पहले उन्होंने उपवास शुरू किया था।
सामाजिक कार्यकर्ता हर्षमंदर की नजर में पीएम नरेंद्र मोदी के दो साल के शासन में देश में काम कम और उसका बखान ज्यादा हुआ है। आईएएस अधिकारी रहे हर्षमंदर ने कहा कि आज के भारत में दो साल पहले के मुकाबले विषमताएं ज्यादा बढ़ी हैं। आर्थिक और सामाजिक अलगाव का यहां अब बोलबाला है।