एक तरफ जहां मोदी के समर्थन में जुटाया जा रहा फैन-फेयर, वहीं गुजरात नरंसहार की काली छाया अब भी बरकरार, एलाइंस फॉर जस्जिस एंड अकॉन्टबिल्टी की सक्रियता बढ़ी
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए होने जा रहे चुनावी महाभारत के लिए मैदान तकरीबन सज चुका है। एक दूसरे को शिकस्त देने के इरादे से दोनों राजनीतिक गठबंधन अपने सेनापतियों के साथ आमने सामने डट गए हैं। तीसरी ताकत के नाम पर कुछ महारथी खुद के जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी और को हराने और किसी और की जीत में मददगार साबित होने की रणनीति के तहत अगल बगल से या फिर नेपथ्य में रह कर भी इस चुनावी महाभारत में अपनी भूमिका के लिए उद्धत हैं।
बिहार में राजद-जदयू-कांग्रेस महागठबंधन ने उन सीटों की घोषणा कर दी जिनपर अलग-अलग तीनों पार्टियां चुनाव लड़ेंगी। कुल 243 सीटों में अब राजद और जदयू 101-101 और कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ेगी। पटना में तीनों दलों के संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। फुल्का के इस्तीफे से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि फुल्का ने पार्टी पदों से अपने इस्तीफे की वजह 84 सिख दंगे मामले पर ध्यान केंद्रित करने को बताया है। लेकिन इसके बावजूद कई प्रश्न उठ रहे हैं।
एनडीए के घटक दलों में हुए सीट समझौते के बाद गठबंधन के लगभग हर दल में नाराजगी है। लोजपा के रामा सिंह के बाद अब भाजपा के दो विधायकों ने टिकट न मिलने पर बागी रुख अख्तियार कर लिया है।
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को अपने विधायक सोमनाथ भारती से पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा। उधर, दिल्ली के पूर्व विधायक भारती ने उच्च न्यायालय में जाकर अपनी पत्नी द्वारा दायर घरेलू हिंसा और हत्या के प्रयास के मामले के संबंध में गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध किया।
आम आदमी पार्टी ने शनिवार को एक बड़ा फैसला करते हुए अपने दो सांसदों को निलंबित कर दिया। पंजाब से आने वाले इन दोनों सांसदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निलंबित किया गया है। लेकिन यह भी सच है कि इन दोनों सांसदों को योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण का करीबी माना जाता था। और यही कारण है कि पार्टी में काफी दिनों से इन पर कार्रवाई की चर्चा चल रही थी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक साथ मंच साझा करने से कांग्रेस असमंजस की स्थिति में आ गई है। दरअसल दिल्ली में कांग्रेस लगातार आम आदमी पार्टी पर निशाना साध रही है और बिहार में जदयू के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। ऐसे में कांग्रेस नीतीश कुमार के मंसूबों को समझ नहीं पा रही है।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में अपने लिए मात्र तीन विधानसभा सीटें छोड़े जाने को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने न केवल अपना अपमान माना है बल्कि आरोप लगाया है कि सीट बंटवारे में उसकी अनदेखी की गई है। राकांपा के इस रुख से महागठबंधन में दरार दिखाई पड़ने लगी है।