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स्टॉक मार्केट ने बनाया नया ऑल टाइम हाई, सेंसेक्स ने फिर तोड़ा रिकॉर्ड

स्टॉक मार्केट ने बनाया नया ऑल टाइम हाई, सेंसेक्स ने फिर तोड़ा रिकॉर्ड

स्टॉक मार्केट में सोमवार को सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबार में एक बार फिर रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ। निफ्टी ने भी अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया।
गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें राज्य सरकारेंः पीएम

गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें राज्य सरकारेंः पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गो रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ राज्य सरकारों को कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि गो माता की रक्षा होनी चाहिए लेकिन कानून किसी को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है।
विपक्ष ने दी सरकार को चीन के साथ कूटनीति से निपटने की सलाह

विपक्ष ने दी सरकार को चीन के साथ कूटनीति से निपटने की सलाह

चीन के साथ टकराव और जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर शुक्रवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में विपक्ष ने सरकार को पूरा समर्थन देते हुए चीन के साथ कूटनीतिक तरीके से विवाद हल करने की सलाह दी है।
'ढिंचैक पूजा' के फैंस के लिए बुरी खबर, यूट्यूब से गायब हुए सारे गाने

'ढिंचैक पूजा' के फैंस के लिए बुरी खबर, यूट्यूब से गायब हुए सारे गाने

अपनी बेसुरी आवाज और रैप से सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरने वाली 'ढिंचैक पूजा' के फैंस के लिए एक बुरी खबर है। वो ये कि 'ढिंचैक पूजा' के यूट्यूब पेज से एक गाने को छोड़कर उनके सारे गाने गायब हो गए हैं।
पशु बिक्री बैन नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसानों की जीत: एआईकेएस

पशु बिक्री बैन नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसानों की जीत: एआईकेएस

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की केंद्र के पशु बिक्री बैन नोटिफिकेशन पर लगाई गई रोक को जारी रखा है। साथ ही इस रोक को पूरे देश में लागू करने का निर्णय दिया है।
क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?
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