Advertisement

Search Result : "bahut door kitna door hota hai"

लीजा का सपना पूरा हुआ

लीजा का सपना पूरा हुआ

फिल्म क्वीन में रानी यानी कंगना रणौत को दुनियादारी का पाठ पढ़ाने वाली लड़की का किरदार निभाने लिजा हेडन जल्द ही ए दिल है मुश्किल में दिखाई देंगी।
फरहान का दिल भी आया टीवी पर

फरहान का दिल भी आया टीवी पर

दिल चाहता है फिल्म के निर्देशक और संगीतमय रॉक ऑन और मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म के जरिये फरहान अख्तर फिल्म की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा बन चुके हैं। अब से हटकर उनकी इच्छा एक काल्पनिक टीवी शो बनाने की है।
फिर छोटे परदे पर बिग बी

फिर छोटे परदे पर बिग बी

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आने वाले टीवी शो आज की रात है जिंदगी से छोटे पर्दे पर हलचल मचाने को तैयार हैं।
कहानी: हिंदी पखवाड़े में लोकभाषा हितैषी

कहानी: हिंदी पखवाड़े में लोकभाषा हितैषी

साहिर लुधियानवी के हिन्दी गीत के संकलन का संपादन। साहिर लुधियानवी : मेरे गीत तुम्हारे हैं नाम से एक और पुस्तक प्रकाशनाधीन। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां और गजलें प्रकाशित। साहित्य से इतर पर्यावरण पर भी लेखन। पिछले चार वर्षों से साहिर लुधियानवी के गीतों का डॉक्युमेंटेशन और ब्लॉग लेखन। गढ़वाली भाषा और संस्कृति पर सक्रिय संस्था ‘धाद’ से संबद्ध।
इस्मत चुगताई की कहानी 'लिहाफ'

इस्मत चुगताई की कहानी 'लिहाफ'

उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका इस्मत चुगताई का जन्म 15 अगस्त 1915 को बदायूं, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह इस्मत आपा के नाम से मशहूर हुईं। उनके लेखन के साथ कई विवाद भी जुड़े रहे। वह बहुत विद्रोही लेखिका थीं और उन्होंने महिलाओं के बारे में खूब लिखा और उनके हक में सवाल उठाए। उनकी कहानियों में लड़कियों की मनोदशा और सच्चाई खूब अच्छी तरह से बयान हुए। उनकी कहानी लिहाफ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उन पर अश्लीलता का मुकदमा चलाया था, जो बाद में खारिज हो गया। 24 अक्टूबर 1991 को उनका निधन हुआ। सन 2015 में हम उनकी जन्मशताब्दी मना रहे हैं। उनकी मशहूर कहानी लिहाफ पाठकों के लिए।
प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
रवि बुले की कहानी: प्रोडक्शन नं.3

रवि बुले की कहानी: प्रोडक्शन नं.3

5 सितंबर, 1971, जबलपुर (म.प्र) में जन्म। ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रीय। बीते दस बरस में दो कहानी संग्रहः आईने सपने और वसंत सेना। यूं ना होता तो क्या होता। पिछले साल आया उपन्यास दलाल की बीवी काफी चर्चित रहा। गुजरे डेढ़ दशक से लगातार फिल्म समीक्षाएं, विवेचन और अध्ययन। मुंबई में निवास। प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अमर उजाला के मुंबई ब्यूरो प्रमुख।
यादों के आइने में अमृतलाल नागर

यादों के आइने में अमृतलाल नागर

पिछले दिनों प्रसिद्ध साहित्यकार और नाच्यो मैं बहुत गोपाल, सुहाग के नुपूर जैसी कालजयी कृतियां लिखने वाले अमृतलाल नागर की 99 वीं बरसी पर बालेंदु शेखर मंगल मूर्त्ति ने उनके साथ बिताए पलों को साझा किया।
प्लेटफार्म नंबर सात

प्लेटफार्म नंबर सात

यह मौसम पतंगबाजी का नहीं है और गिरानी में नाच नाम से दो कविता संग्रह। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित।
जयश्री रॉय की कहानी: दुर्गंध

जयश्री रॉय की कहानी: दुर्गंध

18 मई को हजारीबाग (बिहार) में जन्म। हिंदी में स्वर्ण पदक के साथ गोवा विश्वविद्यालय से एम ए। अनकही, तुम्हें छू लूं जरा, खारा पानी, कायान्तर (कहानी संग्रह)। औरत जो नदी है, साथ चलते हुए और इकबाल (उपन्यास)। तम्हारे लिए (कविता संग्रह)। आकाशवाणी से रचनाओं का नियमित प्रसारण। कहानियों के लिए युवाकथा सम्मान (सोनभद्र) 2012
Advertisement
Advertisement
Advertisement