अनुसूचित जाति एवं जनजाति पर जातिगत टिप्पणी को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है। अब सोशल मीडिया पर इन समुदायों के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी करना अपराध माना जाएगा।
आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।
जाति के आधार पर चल रहे भेदभाव पर खेद व्यक्त करते हुए केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि दलित जाति के जो लोग कुएं खोदते हैं और मूर्तियां बनाते हैं, उन्हें कुएं से पानी पीने एवं मंदिरों में प्रवेश से रोका जाना आज के युग में ठीक नहीं है। लोगों में ऐसी सोच बदलनी चाहिए।
हरियाणा के एक गांव में ऊंची जाति के कुछ लोगों द्वारा एक दलित दूल्हे को उसकी बारात में घोड़ा बग्गी पर चढने से रोकने और बाराती समेत पुलिस दल पर पथराव करने का मामला सामने आया है। घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति है।