छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने एक बाद फिर 26 सीआरपीएफ जवानों की हत्या कर दी है। पिछले पंद्रह सालों से भाजपा शासित इस राज्य में सैंकड़ों हमले हुए हैं। मुख्यमंत्री रमन सिंह हमेशा नक्सल समस्या को खतम कर लेने का दावा करते हैं लेकिन हर बार यहां जवानों को जान गंवानी पड़ती हैं।
छत्तीसगढ़ के संवरा जनजाति के कुछ लोग पिछले कुछ दिनों से दिल्ली आकर विभिन्न सांसदों के चक्कर काट रहे हैं, पूछने पर बताते हैं कि हम लोग दशकों से इस तरह भटक रहे हैं, लेकिन हमें अभी तक कोई पायदा नहीं हुआ। दरअसल इनका कहना है कि सौंरा, संवरा, सवरा, सौरा छत्तीसगढ़ की जनजाति है जिन्हें पिछले 2002 से लिपिकीय त्रुटि की वजह से आदिवासी नहीं माना जा रहा है। लिहाजा जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण सहित अन्य लाभ से यह समुदाय पूरी तरह वंचित है।
हैदराबाद के बाद अब लगता है कि छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय को दूसरे रोहित वेमुला का इंतजार है। फीस बढ़ोतरी के बाद विरोध कर रहे छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन परेशान कर रहा है। तीन छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। ढाई सौ छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
बिहार में महागठबंधन बनाकर पीएम मोदी का विजय रथ रोकने वाले नीतीश कुमार अब इसी महागठबंधन को 2019 के चुनाव के लिए पूरे देश में खड़ा करने की जुगत में लग गए हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने शराब बेचने का फैसला हाल ही में लिया है। इसी तर्ज पर अब झारखंड की भाजपा सरकार ने भी शराब बेचने का निर्णय लिया है। यहां अब तक शराब का थोक कारोबार कर रही राज्य सरकार एक अगस्त से झारखंड राज्य बिवरेज कारपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से शराब के खुदरा कारोबार में भी कदम रखेगी।
छत्तीसगढ़ के भाजपा शासन में प्रशासनिक अधिकारी भ्रष्टाचारमें संलिप्त हैं। आलम यह है कि प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव भ्रष्टाचार के एक मामले में फंस गए हैं।
कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को 2018 में होने वाले राजस्थान, मध्यपद्रेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों की भी जिम्मेदारी देने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, पांच राज्यों के चुनाव के बाद उनको यह जिम्मेदारी दे दी जाएगी। उनकी इन चुनाव की रणनीति को काफी कारगर माना जा रहा है। शुरुआती जो संकेत मिल रहे हैं, उसमें यही है कि फिलहाल प्रशांत किशोर की उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड की रणनीति कामयाब रही है।
देश में नक्सली अभी भी सबसे खतरनाक बने हुए हैं। अरातकतावादी माओवादी संगठनों ने पिछले साल आईईडी और दूसरे घातक हथियारों के उपयोग से सबसे ज्यादा सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों की जान ली। नक्सलियों ने साल 2016 में सबसे ज्यादा आईईडी धमाके किए।