जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश में 72.89 करोड़ लोग नॉन वर्कर हैं। इनमें से 3.7 लाख लोग भिखारी हैं। आंकड़ों के अनुसार देश की कुल आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 14.23% है।
भाजपा यूपी को जीतने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी तथा उनके विकास कार्यों पर ही ध्यान दे रही है। पार्टी 100 दिन की रथ यात्रा परिवर्तन यात्रा के नाम से शुरु करने जा रही। उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए यह रथ यात्रा पूरे प्रदेश में निकाली जाएगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य मोदी सरकार की पिछले दो साल की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाना है।
भारत की पिछले 12 साल की औसतन 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर आम आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार लाने में नाकाम रही है। यह बात जाने-माने विकास अर्थशास्त्राी ज्यां द्रेज ने रविवार को कही।
अपर असम के ताकतवर ‘अहोम’ समुदाय की नाराजगी की हल्की सी झलक पाकर भाजपा नेतृत्व ने तेजी से क्राइसिस मैनेजमेंट किया और एक साथ सोशल इंजीनियरिंग के कई निशाने साधे। नगांव के सांसद राजेन गोहाईं केंद्र में मंत्री बनाने की रेस में नहीं थे। लेकिन असम में एम्स बनने के मुद्दे पर नगांव के लोगों, खासकर ‘अहोम’ समुदाय की नाराजगी सामने आने के बाद चार बार से सांसद चुने जा रहे गोहाईं का नाम असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने आगे बढ़ाया।
यूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की भाजपा की तैयारी पर मुस्लिम समाज बिफर सा गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है। उसने आरोप लगाया है कि महज वोटों की राजनीति के लिए भाजपा यह मसले को उछाल रही है।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।
सऊदी अरब में लाल सागर के तट पर स्थित जेद्दा शहर में एक अमेरिकी वाणिज्यिक स्थल के निकट एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट कर उड़ा लिया जिसमें दो सुरक्षा अधिकारी घायल हो गए।
पीएम नरेंद्र मोदी और उनके प्रशंसक लाख दावा कर लें कि देश में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद विकास बेहतर ढंग से हुआ है। लेकिन वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार देश में रोजगार पैदा करने में बुरी तरह विफल साबित हुई है।
समलैंगिक (एलजीबीटी) समुदाय का हिस्सा होने का दावा करने वाली कुछ मशहूर हस्तियों ने उच्चतम न्यायालय का रूख कर आईपीसी की धारा 377 को रद्द करने की गुहार लगाई है। आईपीसी की धारा 377 के तहत देश में समलैंगिकता एक दंडनीय अपराध है। इस अर्जी पर कल सुनवाई होने की संभावना है।
भारत में एक दशक में खेतिहर मजदूरों समेत आर्थिक गतिविधियों की विभिन्न श्रेणियों में शामिल लोगों के विवाह की औसत आयु में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। जिसे सकारात्मक माना जा रहा है।