सीबीआइ द्वारा दर्ज एफआइआर के मुताबिक, घूस को छिपाने के लिए मानस पात्रा पहले इस रकम को अपने एकाउंट में जमा कर लेता था। बाद में उस रकम को मल्होत्रा की पत्नी के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर देता था।
मार्क बाउचर की याद है आपको। हां, वही दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर, पांच वर्ष पहले जिनकी आंख में उछलकर बेल्स लग गई थी और उन्हें वक्त से पहले क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ गया था। लेकिन अब विकेटकीपरों को ऐसी गंभीर चोटों से बचाने के लिए मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने पहल की है। एमसीसी ने ऐसी बेल्स के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है जो स्टंप उखड़ने के वक्त गिरेगी तो उतनी ही तेजी से लेकिन उसकी दूरी सीमित हो जायेगी। दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन की दो कंपनियों ने इस तरह की बेल्स के अपने डिजाइन सौंपे हैं।
नेपाल में आंदोलनरत मधेसी समूह ने प्रधानमंत्री प्रचंड को बुधवार को अंतिम चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।
यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे मेघालय के राज्यपाल वी षण्मुगनाथन ने इस्तीफा दे दिया। दरअसल राजभवन के कर्मियों के एक समूह ने उन पर राज्यपाल के कार्यालय की गरिमा से गंभीर समझौता करने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाए जाने की मांग की थी जिसके बाद राज्यपाल ने इस्तीफा दिया।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 67 वर्षीय षण्मुगनाथन ने पद से इस्तीफा दे दिया है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर दुनिया की सबसे उंची इमारत बुर्ज खलीफा का अपना ही अंदाज रहा और भारत के साथ दुबई के सांस्कृतिक एवं व्यापारिक रिश्तों का जलवा बिखेरती हुई तिरंगे के रंगों-केसरिया, सफेद और हरे-रंग वाली रोशनी से यह इमारत जगमगाई।
सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेशों को बार-बार लाने पर ऐतराज जताया है। कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के साथ 'धोखा' है और लोकतांत्रिक व्यवस्था को क्षति पहुंचाने वाली प्रक्रिया है, खासकर तब जब सरकार लगातार अध्यादेशों को विधायिका के सामने रखने से बच रही हो।
तुर्की का प्रमुख शहर इस्तांबुल में सैंटा क्लॉज के वेष धरे बंदूकधारियों ने नाइट क्लब में अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 लोग घायल हुए हैं।
जानी-मानी वकील इंदिरा जयसिंह द्वारा संचालित एनजीओ का लाइसेंस सरकार ने एफसीआरए का कथित तौर पर उल्लंघन करने के लिए स्थायी तौर पर रद्द कर दिया है। संगठन ने इस कार्रवाई को निरर्थक और इसे संविधान के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला बताया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर चर्चा की वकालत करने के बीच कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे हर साल चुनाव पर होने वाले खर्च को कम करने और सरकारी फैसलों के आचार संहिता से प्रभावित होने से बचा जा सकेगा जबकि कुछ का कहना है कि इसमें संघीय लोकतंत्र बनाए रखना और दलीय लोकतंत्र की खामियां एक बड़ी चुनौती है।