केंद्र सरकार ने किसानों को फसल पर सस्ता कर्ज मुहैया कराने की योजना की अवधि चालू वित्तीय वर्ष के लिए बढ़ा दी है। साथ ही ब्याज वापसी की छूट की स्कीम को भी आगे जारी रखने का फैसला लिया है।
आल इंडिया किसान सभा का कहना है कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना के तहत घोटाला किया जा रहा है। सभा का कहना है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली को किसानों के बकाया दावो के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए।
अच्छे मानसून और किसानों की कड़ी मेहनत की वजह से अच्छी फसल होने के बावजूद गेहूं का शुल्क मुक्त आयात किए जाने को लेकर आज उच्च सदन में सरकार की आलोचना किए जाने पर प्रतिवाद करने के कारण शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू को विपक्ष की नाराजगी का सामना करना पड़ा।
नयी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसानों के हितों का पोषण करने वाली अब तक की सर्वश्रेष्ठ योजना करार देते हुए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि अगर कोई राज्य सरकार फल या सब्जी का औसत उत्पादन 10 प्रतिशत अधिक होने और मूल्य में 10 प्रतिशत की गिरावट होने पर बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत नुकसान भरपाई का प्रस्ताव भेजेगी तो उसे तत्काल मंजूरी दी जायेगी।
महाराष्ट्र में रबी फसलों की बुआई में 20 फीसदी गिरावट देखने को मिल सकती है क्योंकि राज्य में बीज और खाद की बिक्री बड़े नोटों 500 और 1000 रुपए के बंद होने से प्रभावित हो गई है।
मोदी सरकार द्वारा पांंच सौ और हज़ार रुपए के नोट को चलन से बाहर करने का सर्वाधिक असर उत्तर प्रदेश पर पड़ा है। प्रदेश में काम-धंधे लगभग बंद हैं और रबी की फ़सल की बुआई भी प्रभावित हुई है। स्कूल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी आधी रह गई है। जिसे देखो वही बैंकों की लाइन में लगा है।
एक नए वृत्तचित्र में दावा किया गया है कि सेब सबसे पहले चीन के सुदूर शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में पैदा हुए। इसके साथ ही इसने अब तक चली आ रही उस चीनी धारणा को खारिज कर दिया, जिसके अनुसार सेबों को पश्चिमी देशों की उपज माना जाता है।
लगातार दो साल सूखे के बाद इस बार बेहतर बारिश के चलते देश का खाद्यान्न उत्पादन चालू फसल वर्ष 2016-17 में रिकार्ड पैमाने को छू सकता है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यह उम्मीद जताई है। वह नई दिल्ली में रबी फसल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में राज्यों के कृषि अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
‘मेरी छतरी के नीचे आ जा’ और ‘नहीं भूलेंगे यह बरसात की रात’ जैसे गीत सिनेमा के पर्दे और रेडियो पर मन मोह लेते हैं। प्रेम-विरह में भी बरसात, पहाड़, रेगिस्तान के दृश्य दिल-दिमाग को द्रवित करते हैं।