प्रोफेसर रघुवंश की पुस्तक हम भीड़ के लोकार्पण में दिल्ली आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने सियासी बोलों की कोई कमी नहीं रखी। समाजवादी रघुवंश के बहाने उन्होंने अपने आपातकाल के किस्से सुनाए और भारतीय जनता पार्टी की तिरंगा यात्रा पर भी कटाक्ष किया। नीतीश ने कहा, ‘यह देख कर अच्छा लग रहा है कि जो लोग तिरंगा को मानते भी नहीं थे वे ही लोग अब तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं।’
गजब हो गया है। विभूति जी और लड्डू के भैया की तो छोड़िए जो सुन रहा है वही दुखी है। भाभीजी घर पर हैं की भाभी यानी अंगूरी ने अपना घर यानी धारावाहिक छोड़ दिया है। पंगा कहीं और काम को लेकर हुआ है ऐसा बताया जा रहा है।
अगर आपको लगता है कि मां कसम जैसे संवाद सिर्फ गरम धरम को ही कहने का अधिकार है तो आप गलत हैं। एकता कपूर ने भी टीवी की कसम खाई है कि वह टीवी को 11 बजे से पहले बंद नहीं होने देंगी।
मेरी आवाज ही पहचान है, टीवी धारावाहिक से अभिनेत्री अमृता राव छोटे परदे पर कदम रखने जा रही हैं। यह उनका पहला टीवी धारावाहिक है। दो गायक बहनों के जीवन पर बने इस धारावाहिक का लंबे समय से दर्शकों को इंतजार है।
अंजू शर्मा मूलतः कवयित्री हैं। उनकी कविताएं आसपास की घटनाओं और जीवन के अनुभवों से गुजर कर शब्दों का चोला पहनती हैं। उनकी कविता चालीस साला औरतें पिछले दिनों बहुत चर्चितं रही थी। हाल ही कहानी लिखना शुरू करने वाली अंजू की कहानियों ने अलग मुकाम बना लिया है। सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित।
सारिका का कहना है कि वह किसी भी तरह का किरदार अदा करने को तैयार हैं, चाहें फिर वह बड़े पर्दे पर हो या छोटे पर्दे पर लेकिन किरदार चुनौतीपूर्ण होना चाहिए।
सामाजिक ताना-बाना समझना किसी के लिए भी आसान नहीं है। इस जटिलता को भी असगर वजाहत ने बहुत अच्छी तरह न सिर्फ समझा बल्कि उसे बयान करने का शिल्प भी कमाल का है। यह शब्द जाने-माने साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के हैं, जो उन्होंने असगर वजाहत की कहानियों को पढ़ने के बाद कहे थे।