आरबीआई ने चलन से बाहर किए गए उच्च मूल्य के पुराने नोट बदलने के वास्ते प्रवासी भारतीयों सहित उन लोगों के लिए कुछ अन्य शर्तें जारी की जो 30 दिसंबर तक ऐसा करने में असफल रहे थे।
नये साल 2017 में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की त्रिामूर्ति दुनिया के खगोल प्रेमियों को ग्रहण के चार रोमांचक दृश्य दिखायेगी। हालांकि, भारत में इनमें से केवल दो खगोलीय घटनाओं के नजर आने की उम्मीद है।
लगातार 18 टेस्ट मैचों में अजेय रहने और एक साल में सर्वाधिक टेस्ट मैचों में जीत दर्ज करने के बावजूद बड़े लक्ष्यों पर निगाह रखने वाले भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली और उनकी टीम को असली चुनौती वर्ष 2018 में मिलेगी जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है।
खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर चारों ओर से आते इंडिया इंडिया के शोर के बीच भारत ने आज बेहतरीन हाकी का नमूना पेश करते हुए बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर हाकी विश्व कप अपने नाम करने के साथ इतिहास पुस्तिका में नाम दर्ज करा लिया।
जीत के अश्वमेधी रथ पर सवार भारतीय टीम पंद्रह बरस बाद जूनियर हाकी विश्व कप फाइनल में कल बेल्जियम के खिलाफ उतरेगी तो खिलाड़ी अपनी आक्रामकता और जुझारूपन को बरकरार रखते हुए देशवासियों को अर्से बाद हाकी के मैदान पर खिताब तोहफे में देने के इरादे से उतरेंगे।
सरकार देश के ढांचागत क्षेत्र के विकास के लिये जरूरी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वर्ष 2016 में किये गये सुधारों के आधार पर एफडीआई प्रवाह अगले साल भी बेहतर रहने की उम्मीद कर रही है। इस वर्ष जनवरी से सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 21 प्रतिशत बढ़कर 32.18 अरब डालर रहा।
खिताब के प्रबल दावेदार भारत ने आज पूल डी के अपने अंतिम मैच में दक्षिण अफ्रीका को 2-1 से हराकर अपना विजय अभियान जारी रखा और बड़ी शान के साथ पुरूष जूनियर हाकी विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में कदम रखा।
अपनी सरजमीं पर खेल रही भारतीय हाकी टीम कल कनाडा के खिलाफ 11वें एफआईएच जूनियर विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो उसका इरादा पंद्रह साल से खिताब नहीं जीत पाने का सिलसिला तोड़ना होगा।
ऊर्जा क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कंपनी अडाणी समूह आस्ट्रेलिया में 21.7 अरब डॉलर की लागत वाली कारमाइकल खान परियोजना पर अगले साल के मध्य तक निर्माण कार्य शुरू करेगा।
भारत को पंद्रह बरस पहले एकमात्र जूनियर हाकी विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुभवी फारवर्ड दीपक ठाकुर का मानना है कि भारतीय हाकी का अस्तित्व बचाने के लिये वह टूर्नामेंट एक जंग की तरह था और सुविधाओं के अभाव में भी हर खिलाड़ी के निजी हुनर के दम पर टीम ने नामुमकिन को मुमकिन कर डाला।