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जाने-माने पत्रकार प्रफुल्‍ल बिदवई का एम्‍सटर्डम में निधन

जाने-माने पत्रकार प्रफुल्‍ल बिदवई का एम्‍सटर्डम में निधन

वामपंथी विचारधारा के जाने-माने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्‍ल बिदवई का एम्‍सटर्डम में निधन हो गया है। एक रेस्तरां में मांस का एक टुकड़ा उनके गले में फंस गया और उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
दलितो ने की संयुक्त राष्ट्र से जातिगत भेदभाव पहचानने की मांग

दलितो ने की संयुक्त राष्ट्र से जातिगत भेदभाव पहचानने की मांग

संयुक्त राष्ट्र से जात आधारित भेदभाव को स्वीकार कर अपने मसौदे में शामिल करने की मांग ने जोर पकड़ा। एशिया दलित राइट्स फोरम ने मसौदे में सात संशोधन पेश किए।
ग्रीनपीस कार्यकर्ता को भारत में प्रवेश से रोका

ग्रीनपीस कार्यकर्ता को भारत में प्रवेश से रोका

ग्रीनपीस इंडिया ने दावा किया कि उसके अंतरराष्ट्रीय स्टाफ के एक सदस्य को वैध दस्तावेज होने के बावजूद भारत में प्रवेश की इजाजत नहीं मिली। एनजीओ के अनुसार, ग्रीनपीस इंटरनेशनल के एक सदस्य एरन गैरी ब्लाक यहां के कर्मचारियों के साथ बैठक के लिए शनिवार को सिडनी से विमान से चले। वह आस्ट्रेलिया के पासपोर्ट पर सफर कर रहे थे। लेकिन उन्‍हें भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
श्रीलंका ने किया अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन

श्रीलंका ने किया अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन

एक नई स्वतंत्र रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका लिट्टे के पराजय के साथ देश में गृह युद्ध खत्म होने के छह साल बाद भी अपने धार्मिक और जातीय मूल के अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की रोक से मृत्यु दंड पर बहस तेज

सुप्रीम कोर्ट की रोक से मृत्यु दंड पर बहस तेज

सर्वोच्च न्यायालय ने आज शबनम और उसके प्रेमी को दी गई फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही एक बार फिर मृत्य दंड पर बहस तेज हो गई है। इस बहस में में एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स की नई रिपोर्ट –भारतः अंतःकरण के नाम पर मौत (इंडियाः डेथ इन द नेम ऑफ कॉन्सिएंस) ने नई रोशनी डाली है। इस रिपोर्ट ने समाज के विवेक या अंतःकरण के नाम पर दिए गए मृत्यु दंड के पीछे के विरोधाभास, कानूनी मानदंड़ों के ह्रास को बेबाकी से सामने रखा है।
सदाशिवम को एनएचआरसी अध्यक्ष नहीं बनाने की अपील

सदाशिवम को एनएचआरसी अध्यक्ष नहीं बनाने की अपील

केरल के मौजूदा राज्यपाल पी. सदाशिवम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की सुगबुगाहट जैसे ही तेज हुई, वैसे ही मानवाधिकार संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संभवतः यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल को इस पद के लिए चुना जा रहा है।