Advertisement

Search Result : "lecture"

'2024 बजट में देखने को मिलेंगे ऐतिहासिक कदम', जानें राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण की प्रमुख बातें

'2024 बजट में देखने को मिलेंगे ऐतिहासिक कदम', जानें राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण की प्रमुख बातें

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रही हैं, जो तीसरी राष्ट्रीय जनतांत्रिक...
कैंब्रिज में बोले राहुल गांधी, 'मुझे खुफिया अधिकारियों ने बताया मेरे फोन की जासूसी...'

कैंब्रिज में बोले राहुल गांधी, 'मुझे खुफिया अधिकारियों ने बताया मेरे फोन की जासूसी...'

कांग्रेस नेता और वायनाड सांसद राहुल गांधी इन दिनों लंदन में हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के...
‘’पेगासस कहीं और नहीं बल्कि उनके दिमाग में...’’ राहुल गांधी के बयान पर बोले अनुराग ठाकुर

‘’पेगासस कहीं और नहीं बल्कि उनके दिमाग में...’’ राहुल गांधी के बयान पर बोले अनुराग ठाकुर

कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी की ओर से कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दिए गए बयान पर भाजपा...
10 दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हावर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चर देंगे छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल

10 दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हावर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चर देंगे छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए 15 फरवरी की तारीख खास रहने वाली है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुनिया के...
प्रणब मुखर्जी की मोदी को चेतावनी, भारी बहुमत वालों को ये नहीं सोचना चाहिए कि वे कुछ भी कर सकते हैं

प्रणब मुखर्जी की मोदी को चेतावनी, भारी बहुमत वालों को ये नहीं सोचना चाहिए कि वे कुछ भी कर सकते हैं

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित दूसरे अटल बिहारी स्मृति...
हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफ्रेसर अमर्त्य सेन ने अपने नाम ‘अमर्त्य’ से अपनी बात शुरू करते हुए बताया कि कैसे गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने उनका नाम रखा और अपने चाचा जोतिर्मय सेन के अंग्रेजों की गुलामी के प्रति संघर्ष जारी रखा ताकि देश आजाद हो सके। लेकिन क्या वाकई देश वैसा ‘आजाद’ हुआ है। यह बात उन्होंने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के राजेन्द्र माथुर स्मृति व्याख्यानमाला में कहे। उन्होंने इंडियन पीनल कोड से बात शुरू करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के संदर्भ में बहुत सी बाते रखीं।
वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
Advertisement
Advertisement
Advertisement