महागठबंधन की इस आंधी में बिहार की राजनीति के कई बड़े और चर्चित चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा, लोजपा और हम के साथ साथ एमआईएम के कई बड़े नेता हार गए हैं।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के आकांक्षी भारतीय अमेरिकी बॉबी जिंदल हाल के एक सर्वेक्षण में न्यूनतम ढाई फीसदी समर्थन जुटाने में विफल रहे हैं। इसके कारण जिंदल को रिपब्लिकन पार्टी की अगली राष्ट्रीय बहस से हटना पड़ेगा। इसके स्थान पर अब जिंदल (44) कम समर्थन प्राप्त करने वाले तीन अन्य उम्मीदवारों से मुकाबला करेंगे जिसे जूनियर यूनिवर्सिटी बहस कहा जाता है।
एनडीए के घटक दलों में हुए सीट समझौते के बाद गठबंधन के लगभग हर दल में नाराजगी है। लोजपा के रामा सिंह के बाद अब भाजपा के दो विधायकों ने टिकट न मिलने पर बागी रुख अख्तियार कर लिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। रामविलास पासवान की लोजपा 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी 23 और जीतनराम मांझी की पार्टी हम 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
रामविलास पासवान अपने पुत्र और भाइयों से ऊपर अपने को और अपनी पार्टी लोजपा को कभी भी नहीं बढ़ने दे सके। उनकी पूरी राजनीति केवल अपने परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। यह कहना है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का।
बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच बढ़ा संकट पैदा हो गया है। भाजपा के सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने सीटों की मांग करके एक नए सियासी समीकरण के संकेत दे दिए हैं। इतना ही नहीं इन दलों ने भाजपा के नारे अबकी बार भाजपा सरकार को बदलने को कहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। भाजपा के सहयोगी दलों ने अपने-अपने तरीके से सौदेबाजी शुरू कर दी और सीटों के बंटवारे को लेकर भी मनमाना रवैया अपनाने लगे।