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शिवसेना ने मोदी को ललकारा, लखनऊ जाकर करें राम मंदिर बनाने की घोषणा

शिवसेना ने मोदी को ललकारा, लखनऊ जाकर करें राम मंदिर बनाने की घोषणा

भाजपा की लंबे समय से सहयोगी शिवसेना ने लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दशहरा मनाने की योजना पर कटाक्ष किया है। शिवसेना ने कहा है कि लखनऊ जाकर मोदी अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने की घोषणा करें।
वैष्णोदेवी जाने वाले मार्ग पर भूस्खलन से तीन श्रद्धालुओं समेत चार की मौत

वैष्णोदेवी जाने वाले मार्ग पर भूस्खलन से तीन श्रद्धालुओं समेत चार की मौत

जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में माता वैष्णोदेवी गुफा मंदिर के मार्ग में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से तीन श्रद्धालुओं समेत चार लोगों की मौत हो गई और नौ अन्य लोग घायल हो गए।
वैष्णो देवी मंदिर के निकट त्रिकूटा पहाड़ियों के जंगल में भयंकर आग

वैष्णो देवी मंदिर के निकट त्रिकूटा पहाड़ियों के जंगल में भयंकर आग

जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के कटरा शहर की त्रिकूटा पहाड़ियों के जंगलों में मंगलवार को भयंकर आग लग गई। आग पर काबू पाने के लिए बुधवार को वायुसेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को लगाया गया। त्रिकूटा पहाड़ियों पर ही माता वैष्णो देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
इस गुल्लक में जिंदगी खनकती है

इस गुल्लक में जिंदगी खनकती है

यह लेखिका की पहली किताब है और इस किताब से पहले इसका शीर्षक पास खींचता है। यह भले ही पहली किताब हो लेकिन कहीं कोई कच्चापन नहीं है। अनुभव के की आंच पर पकी यह पुस्तक पठनीय है।
कहानी: श्री कृष्ण उवाच

कहानी: श्री कृष्ण उवाच

दक्षिणेश्वर (कोलकाता) में जन्म। कोलकाता से बी. कॉम. एडवांस एकाउन्ट्स में प्रथम श्रेणी में आनर्स। रांची से एल.एल.बी। मुख्य धारा की सभी पत्रिकाओं में लगभग तीस कहानियां प्रकाशित। बीज नाम से एक कथा संग्रह। वर्तमान साहित्य का कृष्ण प्रताप स्मृति सम्मान। फिलवक्त आसनसोल, पश्चिम बंगाल में निवास और स्वतंत्र लेखन।
मम्मा की डायरी के बहाने

मम्मा की डायरी के बहाने

इंडिया हैबिटेट सेंटर का केसोरिना हॉल। जब हम पहुंचे तो हॉल में गिनती के लोग। देखते ही देखते हॉल में बच्चों की शैतानियां शुरू हो गईं। मम्मियों की आंखें लाल होने लगीं और इस सबके बीच सज गया मंच, ‘मम्मा की डायरी’ पर बातों के लिए। नताशा ने संचालन का जिम्मा उठाया और लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बातों की भूमिका बांधी। एक सवाल के साथ, ‘मैं मां न होती तो न जाने क्या होती?’ औपचारिक शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की बनाई फिल्म, ‘आओगी न मां’ से हुई। संवाद के तौर-तरीके चिट्ठी-पत्री से बदल कर ईमेल तक पहुंचे।
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