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सोशल मीडिया में अर्नब की खिंचाई, पीएम माेदी के इंटरव्‍यू से अहम मसलेे रहे गायब

सोशल मीडिया में अर्नब की खिंचाई, पीएम माेदी के इंटरव्‍यू से अहम मसलेे रहे गायब

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पहली बार भारतीय मीडिया को इंटरव्यू दिया। जिस पर सोशल मीडिया में चर्चा जारी है। अधिकांश लोगों की राय है कि ज्‍वलंत मसलों पर टाइम्‍स नाउ के अर्नब गोस्‍वामी ने पीएम मोदी को अटैैक नहीं किया। लिहाजा यह इंटरव्‍यू भी एक खानापूर्ति ही साबि‍त होकर रह गया।
चर्चा: छोटे पर्दे पर धार बिना तलवारबाजी। आलोक मेहता

चर्चा: छोटे पर्दे पर धार बिना तलवारबाजी। आलोक मेहता

मीडिया के कुछ लोगों को तो पूर्वाग्रही कहा जा सकता है और प्रतियोगी भाव कि प्रधानमंत्री ने अर्णब गोस्वामी को ही पहले इंटरव्यू के लिए क्यों चुना? हम जैसे पत्रकार मानते हैं कि यह अर्णब गोस्वामी की बड़ी सफलता है, जो प्रधानमंत्री को अपने चैनेल को इंटरव्यू के लिए तैयार कर सके। इसी तरह नरेंद्र मोदी ने भी पुराने ढर्रे को त्यागकर दूरदर्शन अथवा लोक सभा, राज्य सभा टी.वी. चैनलों के बजाय एक निजी चैनल को इंटरव्यू देने का फैसला कर नया अध्याय जोड़ा। यूं उनकी सरकार दावा यही करती है कि प्रसार भारती के दूरदर्शन चैनल की पहुंच दूरदराज के गांवों सहित देश के हर कोने में है, जहां निजी अंग्रेजी चैनल तो क्या हिंदी चैनल की पहुंच भी नहीं है।
स्वामी को प्रधानमंत्री की हिदायत, खुद को व्यवस्था से बड़ा न मानें

स्वामी को प्रधानमंत्री की हिदायत, खुद को व्यवस्था से बड़ा न मानें

सुब्रमण्यम स्वामी लागातार सरकार के लोगों पर हमले कर रहे हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के बाद उन्होंने नए नाम अरविंद सुब्रमण्यम पर भी हमला बोला। जेटली को वह लगातार बोलने के लिए उकसा रहे हैं। यहां तक कि जेटली के जबाव देने पर उन्होंने खून-खराबे तक की बात कह डाली। सभी को इंतजार था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर क्या कदम उठाते हैं।
मोदी ने कहा, मैं डर गया हूं

मोदी ने कहा, मैं डर गया हूं

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले इंटरव्यू में टाइम्स नाऊ के एंकर अर्णब गोस्वामी से कई मुद्दों पर बातें साझा कीं। विदेश नीति से लेकर जन धन योजना पर मोदी खुल कर बोले।
कमलनाथ के बाद कांग्रेस की नई पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर भी उठा विवाद

कमलनाथ के बाद कांग्रेस की नई पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर भी उठा विवाद

कांग्रेस ने रविवार को पंजाब में कमलनाथ की जगह पार्टी सचिव आशा कुमारी को एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया लेकिन जमीन कब्जाने के एक मामले में उनके दोषी होने को लेकर विवाद शुरू हो गया। इससे पहले कमलनाथ ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों में कथित भूमिका को लेकर भाजपा, अकाली दल और आप के विरोध के बाद पिछले दिनों यह जिम्मेदारी छोड़ दी थी।
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