इसी हफ्ते रीलिज होने वाली फिल्म पोस्टर बॉय का सब्जेक्ट बोल्ड है यह तो ट्रेलर देख कर ही समझ आ रहा है। खबर यह नहीं है, खबर यह है कि इस फिल्म में सिर्फ एक कट लगा है। यानी फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने संस्कार की ठेकेदारी छोड़ दी है।
बेफिक्रे, उड़ता पंजाब, लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा से शुरू हुई परम्परा को निभाते हुए 'सेंसर बोर्ड' के मुखिया 'पंकज निहलानी' एक बार फिर आगे आये हैं। इस बार उनके अनुशासन की छड़ी चली है शाहरुख खान की आने वाली फिल्म 'हैरी मेट सेजल पर'।
सेंसर बोर्ड से मतभेद के बाद विवादों में घिरी अनुराग कश्यप की फिल्म 'उड़ता पंजाब' को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि फिल्म देेश या राज्य के खिलाफ नहीं है। हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को आदेश जारी करते हुए कहा है कि फिल्म को अगले 48 घंटे में सर्टिफिकेट दिया जाए। कोर्ट ने बोर्ड को फिल्म के लिए ए सर्टिफिकेट जारी करने के लिए कहा है। इधर सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने कहा है कि वह अगर इस पद के लिए योग्य नहीं हैं तो उन्हें पद से हटा दिया जाए।
उड़ता पंजाब में सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने फिल्म के नाम सहित पूरी फिल्म से ‘पंजाब’ शब्द हटाने और कहानी में कथित तौर पर 89 कट करने को कहा है। बोर्ड के इस फैसले से निर्माता परेशान हैंं। सेंसर बोर्ड ने 13 सुझाव निर्माता को दिए हैं, ये सुझाव मानने पर ही पिक्चर को सेंसर बोर्ड की ओर से 'ए' सर्टिफ़िकेट मिल सकेगा।
फिल्म उड़ता पंजाब की रिलीज का मामला काफी गरमा गया है। फिल्मकार अनुराग कश्यप ने कहा है कि फिल्मों को रिजेक्ट करने का हक जनता को होना चाहिए। एक अधिकारी को यह हक नहीं दिया जा सकता। कश्यप ने साफ कहा कि पहलाज निहलानी का व्यवहार निर्माताओं पर भारी पड़ रहा है। अनुराग ने कहा कि पिछले दो साल में जितनी फिल्मेंं ट्राइबुनल में गई, उतनी पहले नहीं गईं। उन्होंने कहा कि जानबूझकर फिल्म रिलीज में बाधा खड़ी की जाती है। इसी बीच पहलाज निहलानी ने कश्यप पर आप से पैसे लेने का आरोप लगाया है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने कहा कि आने वाली हॉलीवुड की फिल्म द एंग्री बर्डस को यूए प्रमाण पत्र दिया गया है जो उसके विषय को देखते हुए ठीक है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) अपनी वह विवादास्पद सूची वापस लेने का फैसला किया है जिनमें कथित आपत्तिजन शब्द शामिल किए गए थे और इन शब्दों का इस्तेमाल फिल्मों में करने की मनाही की गई थी।
कैग की एक रिपोर्ट में सेंसर बोर्ड द्वारा वर्ष 2012-15 के दौरान कई शर्तों की अवहेलना के लिए और किसी कानून या प्रावधान पर ध्यान दिए बिना ही 172 ए श्रेणी की कई फिल्मों को यूए श्रेणी में डाले जाने तथा यू श्रेणी की 166 फिल्मों को यूए श्रेणी में डाले जाने की आलोचना की है। यह जानकारी एक आरटीआई के जवाब में मिली है।