तीन सांसदों और दो विधायकों वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) दो फाड़ हो गई। केंद्रीय मानव संसाधन विकास रायमंत्री उपेंद्र कुशवाहा गुट द्वारा प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए सांसद डॉ. अरुण कुमार के गुट ने पार्टी की राष्ट्रीय समिति व राय परिषद का विशेष महाधिवेशन बुलाकर उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया है।
घाटी में जारी हिंसा और तनाव के हालात के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर सरकार ने स्कूल और कॉलेजों की छुट्टियां एक सप्ताह और बढ़ा दी है। वहीं स्थानीय अखबारों के दफ्तरों पर पुलिस कार्वाई के विरोध में रविवार को भी कोई अखबार नहीं छपा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निकटस्थ रणनीतिकार और सांसद जयराम रमेश ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के चार टुकड़े जल्द से जल्द होने चाहिए। उत्तर प्रदेश में चुनाव के पहले जयराम की इस मांग पर प्रदेश में अलग अलग राय और विवाद रहे हैं।
देश के विभाजन के दर्द के बीच बड़े हुए भाजपा नेता अरुण जेटली राजनीति के बड़े मुकाम पर हैं। पीएम नरेंंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह के साथ प्रतिष्ठित तथाा वित्त, कारपोरेट मामले और सूचना प्रसारण मंत्रालय की बागडोर संभाल रहे जेटली का राजनीतिक सफर 70 के दशक में अखिल भारतीय विद़यार्थी परिषद से शुरु हुआ। आज भले ही अरुण जेटली सूचना एवं प्रसारण मंत्री का काम भी संभाल रहे हों मगर 90 के दशक से अबतक उन्होंने शायद कोई फिल्म नहीं देखी है।
राजकमल प्रकाशन से आठ खंडों में प्रकाशित राजकमल चौधरी रचनावली के प्रथम दो खंडों में कविता, तीसरे-चौथे खंड में कथा, पांचवे-छठे खंड में उपन्यास, सातवें खंड में निबंध-नाटक और अंतिम खंड में पत्र-डायरी को शामिल किया गया है।
संजीव श्रीवास्तव पेशे से टीवी पत्रकार हैं। उनकी एक पुस्तक - समय, सिनेमा और इतिहास भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित है। संजीव की कविताओं में धर्म, राजनीति और इस सबके बीच पिसती मनुष्यता का ऐसा विवरण है जो किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है।
आलोचना (त्रैमासिक) पत्रिका के अंक 53-54 के प्रकाशन के उपलक्ष्य में ‘भारतीय जनतंत्र का जायजा’ विषय पर साहित्य अकादमी-सभागार में आयोजित परिचर्चा में युवाओं की भागीदारी जबरदस्त रही। दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य अकादमिक संस्थानों के छात्रों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। युवाओं ने जनतंत्र से जुड़े सवालों की झड़ी लगा दी। एक युवा ने सवाल खड़ा किया कि आखिर क्यों ‘आलोचना’ पहले जैसी नहीं होती ! जिसकी आलोचना होती है वह और मजबूत क्यों हो जाता है।