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सूरज के मुखड़े पर कल बिंदिया की तरह चमकेगा बुध ग्रह

सूरज के मुखड़े पर कल बिंदिया की तरह चमकेगा बुध ग्रह

सौर मंडल में 10 साल बाद एक दुर्लभ खगोलीय घटना का संयोग बन रहा है। नौ मई को सूर्य के सामने बुध ग्रह एक काले बिंदु की तरह गुजरता दिखाई देगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक ऐसा अद्भुत नजारा होगा जो नई पीढ़ी खासकर स्कूल एवं कालेज के छात्रों की खगोल जगत के संबंध में कौतुहल को दूर करने के साथ ही उन्हें सौर मंडल की आकाशीय घटना से रूबरू कराएगा।
9 मई को बुध ग्रह आएगा धरती करीब, पर नंगी आंखों से न देखें

9 मई को बुध ग्रह आएगा धरती करीब, पर नंगी आंखों से न देखें

एतिहासिक है सूरज और धरती के बीच छोटे से बुध ग्रह का आना और पांच घंटे पर बने रहना, वैज्ञानिक इस परिघटना के अध्ययन में जुटे, सूरज की छवि को एक शीट पर रिफलेक्ट करके ही देखने की सलाह
भारत के बाद दुनिया से भी गायब हो रहे चीते

भारत के बाद दुनिया से भी गायब हो रहे चीते

भारत समेत दुनियाभर के शोधकर्ताओं का मानना है कि जंगलों में चीतों की जो संख्या बताई जा रही है वह बस अनुमान मात्र है और आशंका है कि धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाला यह स्तनपायी प्राणी लुप्त होने के कगार पर है।
दुविधा में क्रिकेट प्रेमी, मैच बचाएं कि बिजली

दुविधा में क्रिकेट प्रेमी, मैच बचाएं कि बिजली

जब भारत-पाकिस्तान का मैच हो तो कोई तर्क-वितर्क काम नहीं करता है। जैसे पर्यावरण की चिंता करने वाले भी यह याद नहीं रखेंगे कि आज अर्थ अवर है जिसमें हर साल एक घंटे के लिए बिजली बंद रखी जाती है।
कोलकाता में देखिए दुर्लभ डाक टिकटें

कोलकाता में देखिए दुर्लभ डाक टिकटें

राज्य स्तरीय डाक टिकट संग्रह प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहे कोलकाता में पहली बार सन 1854 में जारी डाक टिकट सहित कुछ दुर्लभ डाक टिकटों को दिखाया जाएगा। यह प्रदर्शनी नौ अक्टूबर से शुरू होगी।
दुर्गा की दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटाई मर्केल ने

दुर्गा की दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटाई मर्केल ने

जर्मनी ने जम्मू-कश्मीर से दो दशक पहले लापता हुई दसवीं शताब्दी की दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ति भारत को आज लौटा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का आभार जताया। लापता होने के बाद यह मूर्ति जर्मनी के एक संग्रालय में पाई गई थी। भारत की यात्रा पर आईं जर्मन चांसलर मर्केल ने यहां हैदराबाद हाउस में मोदी को यह मूर्ति सौंपी।
फांसी की शर्मनाक छाया

फांसी की शर्मनाक छाया

मौत की सजा के जरिये अपराध की रोकथाम का लक्ष्य विफल हो चुका है। शोध यह साबित करने में लगातार विफल रहे हैं कि मौत की सजा से अपराध पर रोक लगती है।
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