Advertisement

Search Result : "resignation constitution key points"

धर्मनिरपेक्षता के बदले  'इंडिया फर्स्‍ट' का पैंतरा

धर्मनिरपेक्षता के बदले 'इंडिया फर्स्‍ट' का पैंतरा

धर्मनिरपेक्षता की धारणा पर कुछ हद तक सवाल खड़े करते हुए संविधान दिवस (26 नवंबर 2015) के आयोजन ने इस बहस को एक बार फिर से खड़ा कर दिया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उस दलील को दोहराया जिसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार अर्से से उठाता रहा है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द की विकृत परिभाषा का उपयोग समाज में तनाव उत्पन्न कर रहा है।
मृत्युदंड खत्म करने के खिलाफ है गृह मंत्रालय का रुख

मृत्युदंड खत्म करने के खिलाफ है गृह मंत्रालय का रुख

गृह मंत्रालय द्वारा विधि आयोग की मृत्युदंड खत्म करने की सिफारिश को यह कहते हुए खारिज किए जाने की संभावना है कि आतंकवाद के खतरे को देखते हुए संविधान से इसे पूरी तरह खत्म करने का अभी वक्त नहीं आया है।
विश्व भारती के कुलपति ने दिया इस्तीफा

विश्व भारती के कुलपति ने दिया इस्तीफा

पश्चिम बंगाल स्थित शांति निकेतन के विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति ने आर्थिक और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद इस्तीफा दे दिया है।
आरक्षण नीति की समीक्षा अब वक्त की मांगः संघ

आरक्षण नीति की समीक्षा अब वक्त की मांगः संघ

गुजरात में पटेल जाति के लिए जारी आरक्षण आंदोलन बीच ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण नीति की समीक्षा का समर्थन करते हुए कहा है कि इसका राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही उन्होंने इसके लिए एक गैर-राजनीतिक समिति गठित का सुझाव दिया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आरक्षण की जरूरत किसे और कितने समय तक है।
आप नेता फुल्का ने पार्टी पदों से दिया इस्तीफा

आप नेता फुल्का ने पार्टी पदों से दिया इस्तीफा

वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। फुल्का के इस्तीफे से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि फुल्का ने पार्टी पदों से अपने इस्तीफे की वजह 84 सिख दंगे मामले पर ध्यान केंद्रित करने को बताया है। लेकिन इसके बावजूद कई प्रश्न उठ रहे हैं।
आहें भरती बीमार नौकरशाही

आहें भरती बीमार नौकरशाही

राजनीतिक हस्तक्षेप और बेजा इस्तेमाल की बीमारी की वजह से नौकरशाही का मनोबल अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।
भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
Advertisement
Advertisement
Advertisement