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भाजपा का राज : मध्‍यप्रदेश के बच्‍चे पढ़ाई में है सबसे पीछे, एनसीईआरटी की रिपोर्ट

भाजपा का राज : मध्‍यप्रदेश के बच्‍चे पढ़ाई में है सबसे पीछे, एनसीईआरटी की रिपोर्ट

मध्‍य प्रदेश में विकास की बयार बहाने का दावा करने वाले मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस रिपोर्ट से झटका मिल सकता है। प्रदेश सरकार सूबे में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्‍तर बेहतर करने की लगातार कोशिश कर रही है। ऐसे में एनसीईआरटी की रिपोर्ट के बाद मध्य प्रदेश सरकार के लिए परेशानी और बढ़ सकती है।
विश्व के कुल शरणार्थी बच्चों की आधी संख्या स्कूल से दूर: संयुक्त राष्ट्र

विश्व के कुल शरणार्थी बच्चों की आधी संख्या स्कूल से दूर: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विश्व के करीब 60 लाख शरणार्थी बच्चों की आधी से भी कम संख्या स्कूल में पढ़ती है जिसका अर्थ यह हुआ कि वैश्विक औसत की तुलना में उनके शिक्षा प्राप्त करने की संभावना पांच गुना कम है।
मध्‍य प्रदेश में शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में झोपड़ी में चल रहे स्कूल

मध्‍य प्रदेश में शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में झोपड़ी में चल रहे स्कूल

मध्‍य प्रदेश में छोटी सी झोपड़ी। 8-10 बल्लियों और घासफूस से बनी छत, दीवारें गायब, जमीन कच्ची। यह झोपड़ी ही पूरा प्राथमिक स्कूल है। 1 से 5 तक कक्षाएं यहां चल रही हैं। कुल 15 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए 3 शिक्षक हैं। यह स्कूल है मोरूद गांव में। यह गांव हरसूद विधानसभा क्षेत्र में आता है। प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह यहां के विधायक हैं। वनग्राम मोरूद में 35 परिवार हैं, 150 लोग रहते हैं। इनके बच्चों के लिए यहां 2005 में सेटेलाइट स्कूल शुरू हुआ। इसे 2008 में प्राथमिक स्कूल का दर्जा मिला।
झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए फर्जी सरेंडर का मामला सही पाया गया

झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए फर्जी सरेंडर का मामला सही पाया गया

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा कि झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए बेरोजगार युवाओं के उग्रवाद के नाम पर फर्जी सरेंडर का मामला प्रारंभिक जांच में सही पाया गया है। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद आयोग ने अपना जांच दल भेजा था। दल ने फर्जी सरेंडर के आरोप को सही पाया।
सीईई ने देशभर से आए शिक्षकों को किया सम्‍मानित

सीईई ने देशभर से आए शिक्षकों को किया सम्‍मानित

शिक्षा की बढ़ोतरी के लिए सक्रिय संस्‍था कन्‍फेडरेशन ऑफ एजुकेशन एक्‍सीलेंस सीईई ने शिक्षक दिवस के अवसर पर देशभर से आए शिक्षकों को दिल्‍ली में एक गरिमामय समारोह में सम्‍मानित किया। समारोह में विशिष्‍ट अतिथि के रुप में दिल्‍ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया उपस्थित थे।
आधुनिक शिक्षा : सम्मेलन का आयोजन, गुणवत्‍ता पर होगा मंथन

आधुनिक शिक्षा : सम्मेलन का आयोजन, गुणवत्‍ता पर होगा मंथन

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ एजुकेशन एक्सीलेंस (सीईई) दिल्ली में शिक्षा सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। रोहिणी स्थित होटल क्राउन प्लाजा में 3 सितम्बर 2016 को "इण्डियन फिलोस्फिकल फाउंडेशन फॉर मॉडर्न एजुकेशन" पर ‘‘क्वालिटी ऑफ़ एजुकेशन’’ पर केन्द्रित सेमिनार आयोजित किया जाएगा। यहां ईसीओएनएस के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
16 से जारी अनशन खत्म करते वक्त भावुक हुईं इरोम शर्मिला

16 से जारी अनशन खत्म करते वक्त भावुक हुईं इरोम शर्मिला

मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।
छत्तीसगढ़ के गांवों में घर के बाहर बेटियों की नेमप्लेट

छत्तीसगढ़ के गांवों में घर के बाहर बेटियों की नेमप्लेट

छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के गांवों में लोगों ने स्थानीय प्रशासन की अनूठी मुहिम के तहत अपने घरों के बाहर अपनी बेटियों की नेमप्लेट लगाई है, ताकि लड़कियों की शिक्षा एवं समाज में उनकी पहचान को सशक्त बनाया जा सके।
असम की 31 आदिवासी लड़कियों को गुजरात-पंजाब में दी जा रही भगवा शिक्षा

असम की 31 आदिवासी लड़कियों को गुजरात-पंजाब में दी जा रही भगवा शिक्षा

आरएसएस के सहयोगी संगठन असम की 31 आदिवासी लड़कियों को गुजरात और पंजाब में भगवा शिक्षा दिला रहे हैं। देश के कानून को धता बताते हुए असम के सीमावर्ती पांच जिलों से आदिवासी माता-पिता को बहला-फुसलाकर उनसे उनकी बेटियों को दूर कर दिया गया है। गुजरात और पंजाब में उन्‍हें हिंदूू जीवन प्रणाली अपनाने पर मजबूर किया जा रहा है।
दाल-सब्‍जी-तेल को छोड़ो, मोदी के राज में शिक्षा भी हो गई महंगी

दाल-सब्‍जी-तेल को छोड़ो, मोदी के राज में शिक्षा भी हो गई महंगी

देश में पिछले दो सालों में खाने पीने की चीजों के दामों में बेेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। लोग इसका रोना भी रो रहे हैं। लेकिन रोजमर्रा के उपयोग की इन वस्‍तुओं के दामों में कोई कमी नहीं आई। इन सबके बीच शिक्षा पर भी महंगाई की मार पड़ी है। पिछले दो सालोंं में स्‍कूलों की फीस और शिक्षण सामग्री भी महंगी हुई है।
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