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गुजरात दंगों का लाभ उठा कर मोदी बन गए प्रधानमंत्री: हार्दिक पटेल

गुजरात दंगों का लाभ उठा कर मोदी बन गए प्रधानमंत्री: हार्दिक पटेल

गुजरात में पटेल आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य में हुए 2002 के दंगों के विभिन्न मामलों में दोषी ठहराए गए पटेल समुदाय के युवाओं को रिहा किया जाए। पटेल ने अपने पत्र में कहा है, सभी जानते हैं कि मोदी 2002 दंगे का लाभ उठाकर पहले मुख्यमंत्री और बाद में देश के प्रधानमंत्री बने हैं।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने राजीव गांधी का बयान ट्वीट कर विवाद खड़ा किया

पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने राजीव गांधी का बयान ट्वीट कर विवाद खड़ा किया

कांग्रेस पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक विवादित बयान को ट्वीट कर विवाद खड़ा कर दिया। राजीव गांधी की जयंती के अवसर प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर 1984 के सिख विरोधी दंगे के बाद गांधी द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान को पोस्ट करने से हंगामा मच गया। हालांकि बाद में पार्टी ने ट्वीट को हटा लिया और अपना अकाउंट हैक किए जाने का दावा किया।
तुर्की: इस्तांबुल में विस्फोट, 11 लोगों की मौत

तुर्की: इस्तांबुल में विस्फोट, 11 लोगों की मौत

तुर्की के इस्तांबुल शहर में एक ऐतिहासिक केंद्र के निकट आज पुलिस के वाहन को निशाना बनाकर किए गए बम विस्फोट में सात अधिकारियों और चार नागरिकों की मौत हो गई।
रैली स्थल पर ट्रंप के समर्थकों और विरोधियों में झड़प, 35 गिरफ्तार

रैली स्थल पर ट्रंप के समर्थकों और विरोधियों में झड़प, 35 गिरफ्तार

अमेरिकी राष्ट्रपति के आगामी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह झड़प एक रैली स्थल के बाहर हुई जहां दंगा रोधी उपकरणों से लैस पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
पानी-पानी दक्षिणी बंगाल, रेल-सड़क सब बंद

पानी-पानी दक्षिणी बंगाल, रेल-सड़क सब बंद

पश्चिम बंगाल के दक्षिणी जिलों में भारी वर्षा के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है। शनिवार सुबह से यहां पर सड़क से लेकर रेल तक सारी यातायात व्यवस्था ठप है और अधिकांश इलाके बाढ़ की समस्या से ग्रस्त हैं।
दास्ताने दंगाः औरतों का वाकई घर नहीं होता

दास्ताने दंगाः औरतों का वाकई घर नहीं होता

दंगा कैसा भी हो कहीं का भी हो उसकी सबसे ज्यादा मार औरतों और बच्चों पर पड़ती है। बीती 25 मई को हरियाणा के गांव अताली में फैली सांप्रदायिक हिंसा में भी ऐसा ही हुआ। इतिहास गवाह है कि दंगों की सबसे कमजोर कड़ी महिलाएं रही हैं। इसे देखते हुए अताली गांव के मुसलमान परिवारों ने 25 मई को हुए पहले हमले के फौरन बाद अपनी बहू-बेटियों महफूज ठिकानों पर भेज दिया। अताली में 4 जुलाई हुए दूसरे हमले में मुसलमान घरों में जवान बहू-बेटियां नहीं थीं।
दास्ताने दंगाः ‘अताली को, मुजफ्फरनगर नहीं बनने देंगे’

दास्ताने दंगाः ‘अताली को, मुजफ्फरनगर नहीं बनने देंगे’

मैंने मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों की कवरेज भी की थी। अताली (बल्लभगढ़-हरियाणा) के सांप्रदायिक दंगों और मुजफ्फरनगर के दंगों में बहुत सी समानताएं पाईं लेकिन असमानता है तो सिर्फ एक। वह यह है कि अताली के 150 से ज्यादा गांव छोड़ने वाले मुसलमानों का कहना है, ‘ इसे मुजफ्फरनगर नहीं बनने देंगे, यह अताली है अताली, गांव हमारा था, हमारा है, हम वहां जाएंगे। इंशाल्ला हो सका तो ईद गांव में होगी।’
कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ी, कमजोर पड़ा आंदोलन

कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ी, कमजोर पड़ा आंदोलन

गुर्जर आंदोलन पांचवें दिन भी जारी रहा लेकिन आंदोलन के नेता कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ने और केंद्र से अर्धसैनिक बल की तीन कंपनियां भेजने के बाद यह आंदोलन अब कमजोर पड़ता दिख रहा है।
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