देश में आए दिनों सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था को लेकर मरीजों को रही परेशानी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे हैं। एक ऐसा ही वीडियो कर्नाटक के सरकारी अस्पताल का भी है, जहां अव्यवस्था के कारण एक पत्नि अपने बीमार पति को घसीटने पर मजबूर हुई।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता दिलीप रे के खिलाफ एक विशेष अदालत ने कोयला घोटाले के एक मामले में आरोप निर्धारित किए हैं। यह मामला झारखंड में 1999 में कोयला ब्लाॅक के आवंटन में कथित अनियमितता से संबंधित है।
बिहार की बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली रूबी राय ने आंसरशीट में सिर्फ फिल्मों के नाम लिखे थे। उसने एक अन्य उत्तरपुस्तिका में कवि तुलसीदास का नाम 100 से भी ज़्यादा बार लिख आई थी। कुछ अन्य में रूबी ने कविताएं लिखी थीं। इन उत्तरपुस्तिकाओं को बाद में 'विशेषज्ञों' द्वारा लिखी हुई उत्तरपुस्तिकाओं से बदल दिया गया था।
वेेश्यावृत्ति में किशोरियों के प्रवेश को रोकने की कोशिश के तहत यौन कर्मियों का एक संठगन देह व्यापार में शामिल होने वाली लड़कियों की उम्र का पता लगाने के लिए एक्स रे परीक्षण का इस्तेमाल एक उपकरण की तरह कर रहा है।
बिहार टॉपर घोटाला मामले में टाॅॅपरों के दोबारा टेस्ट आश्चर्य से भर देने वाले हैं। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने इंटर की परीक्षा में आर्ट्स में टॉप करने वाली रूबी राय का दोबारा टेस्ट लिया। बोर्ड के अधिकारियों ने रूबी राय से इसी वर्ष हुई इंटर की परीक्षा के सवाल पूछे, लेकिन वह एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सकीं।
बिहार इंटरमिडिएट परिक्षा के टॉपर घोटाले के कथित सरगना बच्चा राय को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। बच्चा राय वैशाली जिले के विवादित विशुन राय कॉलेज के सचिव सह प्राचार्य हैं। दो विवादित पर रुबी राय और सौरभ श्रेष्ठ इसी कॉलेज के छात्र हैं।
सत्यजीत रे ने एक काल्पनिक जासूस चरित्र गढ़ा था, फेलूदा। फेलूदा इतना मशहूर हुए कि सभी को इसका इंतजार रहने लगा। यही फेलूदा नए साल में दर्शकों से मिलने आ रहे हैं।
सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्या के लिए अक्सर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।