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कोशिश करने वालों की सच में हार नहीं होती

कोशिश करने वालों की सच में हार नहीं होती

'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' एक सशक्त रचना है। इस रचना को हरिवंश राय बच्चन की रचना के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। इस रचना के बारे में काफी समय से मतभेद है कि यह रचना हरिवंशराय बच्चन की है या निराला की। हमने निराला और बच्चन की रचनावली के सभी खंड खंगाले लेकिन यह रचना कहीं नहीं मिली।
एक साल में 100 स्टेशनों पर गूगल देगी वाई-फाई सेवा: पिचई

एक साल में 100 स्टेशनों पर गूगल देगी वाई-फाई सेवा: पिचई

प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी गूगल अगले साल तक देश के 100 रेलवे स्टेशनों पर इंटरनेट संपर्क सुगम बनाने के लिए वाई-फाई की व्यवस्था चालू कर देगी। यह बात आज कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुंदर पिचई ने कही।
ट्रंप के बयान के बाद मुस्लिमों के समर्थन में आए गूगल प्रमुख

ट्रंप के बयान के बाद मुस्लिमों के समर्थन में आए गूगल प्रमुख

फेसबुक के संस्थापक जुकरबर्ग के बाद अब गूगल गूगल प्रमुख सुंदर पिचई भी मुस्लिमों के समर्थन में उतर आए हैं। शनिवार को अपने एक ब्लॉग के जरिये उन्होंने कहा कि हमें अमेरिका और विश्व में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन करना चाहिए।
आईपीएल सीओओ सुंदर रमन का इस्तीफा

आईपीएल सीओओ सुंदर रमन का इस्तीफा

इंडियन प्रीमियर लीग के मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) सुंदर रमन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है जिससे बीसीसीआई में सत्ता परिवर्तन के बाद उनके भविष्य को लेकर लगाई जा रही अटकलें भी समाप्त हो गई।
अनुपस्थित है किसान

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर से जब अपना दूसरा भाषण दे रहे थे तो वह जोश नजर नही आ रहा था जो एक साल पहले था। नरेंद्र मोदी के आज के भाषण में जो नई घोषणाएं थी उसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर साल 2014 में 15 अगस्त को जो वादा किया था उसका क्या हुआ।
बड़े बदलावों से अछूता आधा देश

बड़े बदलावों से अछूता आधा देश

स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति में बदलाव आने पर समाज में बदलाव आना तय माना जाता है। इस पैमाने पर देखें तो भारत की स्थिति पिछली कुछ वर्षों में जस की तस बनी हुई है। मानव विकास सूचकांक के अनुसार भारत की रैंकिंग दुनिया में 135 है
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