राजस्थान के जयपुर औऱ जोधपुर के छह जिलों में पंचायतों के साथ मिल कर चलाए जा रहे सीफार संस्था के प्रयासों से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान का दिख रहा असर
दिल्ली के वरिष्ठ वकील महमूद पराचा ने आरोप लगाया है कि आतंकवाद विरोधी दस्ते यानि एटीएस के सीआई दिनेश शर्मा ने आतंकी मामलों में बचाव पक्ष के वकील बनने पर उन्हें बीती 11 जून को राजस्थान जिला न्यायालय के बाहर गोली से मारने की धमकी दी है। कई जनसंगठनों के अनुसार यह धमकी बताती है कि राजस्थान में लोकतंत्र किस रूप में बहाल है।
राजस्थान में पिछले आठ दिनों से चल रहा गुर्जर आरक्षण आंदोलन राज्य सरकार और आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों के बीच गुरूवार रात हुए समझौते के बाद समाप्त कर दिया गया। इसके बाद राज्य में अब हालात सामान्य हो जाने के आसार नजर आ रहे है।
आरक्षण के मुद्दे को लेकर गुर्जरों और राजस्थान सरकार के बीच तीसरे दौर की वार्ता भी विफल रही। खबर लिखे जाने तक अभी तक दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन पाई है। गुर्जरों की ओर से आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने आरोप लगाया कि सरकार के पास उनके लिए कोई प्रस्ताव नहीं है। गौरतलब है कि मंगलवार को गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कुछ अस्वस्थ हो गए थे।
टेंटी राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पाया जाने वाला फल है, इसके पेड़ को करील कहा जाता है। इसको राजस्थान में कैर के नाम से जानते है। यह अचार बहुत पसन्द किया जाता है। आपको भी यह अचार बहुत पसन्द आयेगा।
राजस्थान में गुर्जर फिर आंदोलन पर हैं। वे गुरुवार से मुंबई -दिल्ली रेल मार्ग को बाधित किए बैठे है। गुर्जर अपनी बिरादरी के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण का स्वरूप न्यायपूर्ण बंनाने की मांग भी उठा रहे हैं। कुछ और छोटी जातियों के समूह भी ओ. बी. सी. आरक्षण में एक प्रभावशाली जाति की ज्यादा हिस्सेदारी पर सवाल उठा रहे हैं। सरकार ने गुर्जरों को बातचीत का न्योता दिया है। मगर गुर्जर अब कोई ठोस प्रस्ताव चाहते हैं।
गाड़ी चलाते वक्त स्मार्टफोन के इस्तेमाल की प्रवृत्ति इन दिनों तेजी से बढ़ी है। इस प्रवृत्ति से न सिर्फ फोन इस्तेमाल करने वालों की जान को खतरा रहता है बल्कि दूसरे लोग भी बेवजह काल के ग्रास बन जाते हैं। गाड़ी चलाते वक्त स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बचने के लिए चलाई गई मुहिम के तहत एक सर्वे से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
मदर्स डे पर कराए गए एक सर्वेक्षण में खास बात सामने आई है। भारत के कई बड़े शहरों में एसोचैम द्वारा कराए गए सर्वे से यह बात निकल कर आई है कि बच्चे की किलकारी पर मां करिअर कुर्बान कर देती है। अच्छी पद, प्रतिष्ठा और पैसे वाली नौकरी भी उन्हें बच्चों की परवरिश और उसकी देखभाल के कर्तव्य से डिगा नहीं पाती है।
अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।